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जापान में भूकंप के बाद 10,000 लोग लापता

१२ मार्च २०११

जापान में आए भूकंप के बाद वहां कम से कम 10,000 लोग लापता हैं. सरकारी अधिकारियों ने 1,000 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है. फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के दो रिएक्टर खराब, समुद्र का पानी भर के कम किया जाएगा तापमान.

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तस्वीर: AP

प्रधानमंत्री नाओतो कान ने इसे "अप्रत्याशित राष्ट्रीय आपदा" कहा है. शुक्रवार को जापान में 8.9 की तीव्रता का भूकंप आया जो अब तक के सब से बुरे भूकंप में से एक है. भूकंप के झटके दो मिनट तक महसूस किए गए. भूकंप के कारण कई शहरों में तबाही आई है. अकेले मिनामिसानरिकू शहर में ही 10,000 लोग लापता हैं. पुलिस ने बताया कि सेंदाई शहर में 200 से 300 शव मिले हैं. सेना ने रिकुजेनटाकाटा शहर में 400 शवों के मिलने की बात कही है. पुलिस के मुताबिक दो लाख से ज्यादा लोगों ने आपात शिविरों में शरण ली है. सेना के 50,000 जवान राहतकार्य में लगे हुए हैं.

NO FLASH Japan Erdbeben Tsunami
तस्वीर: dapd

मीडिया में विकिरण की खबर, पर सरकार का इनकार

भूकंप के कारण टोक्यो से 250 किलोमीटर दूर फुकुशिमा परमाणु बिजली घर में दो रिएक्टर खराब हो गए. रिएक्टर से परमाणु विकिरण होने का खतरा बना हुआ है. लेकिन सरकार ने कहा है कि रिएक्टर की दीवारों को कोई नुकसान नहीं पहुचा है इसलिए विकिरण नहीं होगा. सरकार के अनुसार रिएक्टर के अंदर तापमान अब घट रहा है. अब रिएक्टर में तापमान और दबाव को कम करने के लिए समुद्र के पानी की मदद लेने के बारे में सोचा जा रहा है. प्रधानमंत्री कान के प्रवक्ता युकिओ एदानो ने बताया, "हमने तय किया है कि हम रिएक्टर को समुद्र के पानी से भरेंगे ताकि हम जल्द से जल्द आने वाले खतरे को रोक सकें."

Fukushima 2011 Bevölkerung
तस्वीर: AP

हालांकि स्थानीय मिडिया में अलग प्रकार की खबरें देखी जा रही हैं. जापान के जीजी समाचार एजेंसी के अनुसार फुकुशिमा बिजली घर में काम करने वाले तीन लोगों में विकिरण का असर देखा गया है. जापान की क्योदो न्यूज़ एजंसी के मुताबिक रिएक्टर के अंदर मौजूद यूरेनियम अब तक बढ़ते तापमान के कारण पिघलने लगा है.

चेर्नोबिल जितना खतरनाक नहीं

जापान की परमाणु सुरक्षा एजंसी ने हादसे को एक से सात के पैमाने पर चार का घोषित किया है. 1979 में अमेरिका के थ्री माइल आइलैंड पर हुए हादसे को पांच और 1986 में चेर्नोबिल में हुए हादसे को सात का घोषित किया गया था.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया

संपादन: एन रंजन

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