जी20: असली मुद्दों पर गोलमाल
१२ नवम्बर २०१०व्यापार संतुलन और मुद्रा दरों पर भारी विवाद के बाद विश्व की 20 सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियों ने भविष्य में आपस में बेहतर तालमेल का फैसला लिया है, लेकिन वे महत्वपूर्ण मसलों को सुलझाने में नाकाम रहे.
शिखर भेंट के बाद जारी समापन घोषणा में कहा गया है कि आईएमएफ के सुधारों में महात्वाकांक्षी लक्ष्य शामिल हैं और वह "एक वैध, भरोसेमंद और कुशल आईएमएफ की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है." आईएमएफ में सुधार पर अक्टूबर में ही वित्त मंत्रियों की बैठक में सहमति हो गई थी. उसमें विकासशील देशों के मतों का अनुपात बढ़ाया गया और सदस्य देशों की वित्तीय नीति पर नजर रखने के लिए अधिक अधिकार दिए गए हैं. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने सुधारों को मील का पत्थर बताया है.
जी-20 के नेताओं ने बैंकों की बेहतर सुरक्षा के लिए तय बाजेल 3 नियमों को कड़ाई से लागू करने का फैसला लिया है. अब बैंकों को मुश्किलों का सामना करने के लिए अधिक पूंजी रखनी होगी. नए नियम 2013 से लागू हो जाएंगे.
व्यापार नीति के मुद्दे पर, जिसमें शिखर भेंट से पहले व्यापार संतुलन के मसले पर गंभीर विवाद उभरे, शिखर भेंट ने अगले साल संतुलन के लिए पूर्व चेतावनी पद्धति बनाने का फैसला लिया. अमेरिका ने जर्मनी और चीन जैसे बड़े निर्यातक देशों से निर्यात पर लगाम कसने की मांग थी ताकि ज्यादा आयात करने वाले देशों का व्यापार घाटा कम हो सके. जर्मनी का इसका विरोध कर रहा था और फिलहाल चांसलर मैर्केल को अमेरिका को रोकने में सफलता मिल गई है.
जी-20 के देशों ने भविष्य में अपनी आर्थिक नीतियों में बेहतर तालमेल करने का फैसला लिया है. समापन घोषणापत्र में कहा गया है कि देशों द्वारा अकेले उठाए गए कदमों से सभी के लिए परिस्थितियां खराब हो सकती हैं.
मुद्रा विवाद में जी-20 के देशों ने भविष्य में मुद्रा दरों को नमनशील बनाने और बाजार द्वारा तय किए जाने पर जोर दिया है. इसके पहले अमेरिका चीन से अपनी मुद्रा का मूल्य बढ़ाने की मांग कर रहा था. उसका आरोप है कि निर्यात में लाभ के लिए चीन अपनी मुद्रा को कृत्रिम रूप से कमजोर रख रहा है. चीन ने भी अमेरिका पर अर्थव्यवस्था में सैकड़ों अरब डॉलर झोंककर डॉलर की दर कमाने का आरोप लगाया है.
पहले से ही तय आईएमएफ सुधारों और बाजेल 3 नियमों में संशोधन के कारण सियोल के नतीजों को न्यूनतम समझौता कहा जा रहा है. राहत संगठनों ने जी-20 देशों द्वारा विकास सहायता को अपने एजेंडे पर लिए जाने का स्वागत किया है लेकिन खोखले आश्वासन देने के खिलाफ चेतावनी दी है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: वी कुमार