जुड़वां लोगों का शहर
६ मार्च २००९वैज्ञानिकों से लेकर आम सैलानियों तक सब इस शहर का दौरा करते रहे हैं. जीवन से जुड़ी इस गुत्थी को समझने में अभी सब नाकाम ही हैं.
आप कभी ऐसी जगह पहुंच जाएं जहां आपको एक जैसी शक्लों वाले लोग दिखने लगें तो एकबारगी तो आप चकरा जाएंगे. आप सोचेंगे ये जगह वाकई में है या ये कोई सपना है. लेकिन इस मामले पर तो वैज्ञानिक भी चकरा गए हैं. आखिर ब्राज़ील के साओ पेद्रो नाम के उप नगर के पानी में ऐसी क्या ख़ास बता है जो वहां जुड़वां ही पैदा होते हैं.
कोई कहता है कि साओ पेद्रो के पानी में कोई रहस्यमय खनिज है जिसकी वजह से जुड़वां ही पैदा होते हैं. हर पांच प्रिगनेंसी में से एक प्रिगनेंसी से जुड़वां पैदा होते हैं. यानी हर अस्सी में से एक जुड़वा होता है.
लोग कहते हैं इस पहेली को आनुवंशिकी यानी जेनेटिक्स से नहीं समझा जा सकता है.
कोशिशें हुई हैं लेकिन इतनी बडी संख्या में एक ही जगह जुड़वां पैदा होने की दास्तान आनुवंशिकी के सिद्धांतों के दायरे से बाहर जाती रही है. और ये रहस्य दशकों से बना है. दुनिया भर से लोग इस शहर को देखने आते हैं. किताबें लिखी जा रही हैं रिसर्च की जा रही है. सैलानी आते हैं और उनमें वैज्ञानिक भी होते हैं. कि देखें तो सही माजरा क्या है.
और ऐसे अपार मीडिया अटेंशन और देखने वालों की भीड़ के बीच शहर के लोग मस्त हैं. वे ख़ुश हैं और इस चक्कर में नहीं पड़ते कि इस पहेली का हल निकाला जाए. अब जो है सो है. उनका ध्यान तो फोटुएं खिंचवाने और इंटरव्यु देने में ही रहता है. और इस तरह वे अपनी मार्केटिंग भी कर लेते हैं. ट्विंस कैपीटल ऑफ द वर्ल्ड- जुड़वां लोगों की विश्व राजधानी.
वैज्ञानिक, जीवविज्ञानी, आनुवंशिकी के जानकार सब माथापच्ची कर रहे हैं- इस अनोखी पैदायश प्रवृत्ति को समझने की. लेकिन एक धारा ऐसी भी है जो इस रहस्य की छानबीन के लिए सहारा लेती है, उस दास्तान का- जो जुड़ी हैं नात्सी दौर के एक डॉक्टर योसेफ मेंगेले से. एंजल ऑफ डेथ के नाम से कुख्यात इस शख्स के बारे में बताया जाता है कि हिटलर के ऑउशवित्ज़ कैंप में वही उन क्रूर प्रयोगों का ज़िम्मेदार था जिसमें जुड़वा बच्चे पैदा करने की तरतीब ढूंढी जानी थी. ताकि ज्यादा से ज्यादा श्रेष्ठ नस्ल वाले पैदा किया जा सके. और वे जुड़्वा होकर निकलें. रूप रंग में एक जैसे. इस प्रयोग का क्या हुआ ये तो पता नहीं लेकिन अकेले इस जघन्य काम से यातना शिविर में चार लाख लोग मारे गए.
1945 में सोवियत संघ की लाल सेना जब हिटलर की फौज को खदेड़ती हुई आगे बढ़ रही थी तो ये डॉक्टर मेंगले दक्षिण अमेरिका भाग गया. कुछ लोगों का मानना है कि वो अपने प्रयोगों में सफल रहा और अपने मिशन को उसने एक छोटे से शहर में अंजाम दिया. जिसका नाम है कैंडिडो गोदोई. शहर के प्रवेश द्वार पर लिखा हुआ है गार्डन सिटी एंड लैंड ऑफ़ ट्विंस. साओ पेद्रो इसी का एक उपनगर है जहां जुड़वा आबादी रहती है.
अर्जेटीना के इतिहासकार पत्रकार जोर्जे कामारासा ने इस विषय पर बाक़यादा शोध किया और एक किताब भी प्रकाशित की. इस किताब में कामारासा ने अनुमान लगाया है कि मेंगले ने ब्राज़ीली शहर की महिलाओं पर प्रयोग किए होंगे जिसके नतीजे में जुड़वा बच्चों की बाढ़ सी आ गयी. ज़्यादातर ऐसे बच्चे ब्लांड बालों और हल्की रंगत की आंखों वाले थे. कुछ लोगो का तो ये भी कहना है कि शातिर डॉक्टर को कृत्रिम गर्भाधान का तरीका भी आता था. और उसने कुछ दवाइयां तैयार की थीं. लेकिन ये सब बातें अटकलों और गप से आगे नहीं जा पायी. मेंगले की ब्राज़ील में ही 1979 में मौत हो गयी थी.
कुछ लोगों का कहना है कि मेंगले के बारे में इस तरह की बातें सिर्फ़ किताबें बेचने का तरीका है. कैंडिडो गोदोई शहर की आबादी है छह हज़ार सात सौ और इनमें से अस्सी फ़ीसद लोग जर्मन मूल के हैं. पहले विश्य युद्ध के दौरान ये लोग यहां बेहतर और सस्ती खेती के आकर्षण में खिंचे चले आए.
1990 के शुरूआती दिनों में ही लोगों का ध्यान इस बात पर गया कि यहां तो जुड़वां भरे पड़े हैं. शहर का कहना है कि दुनिया में सबसे ज़्यादा जुड़वां आबादी हमारी है. लेकिन दुनिया भर के रिकॉर्डों को इकट्ठा करने वाली संस्था गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने फिल्हाल इस दावे की पुष्टि नहीं की है, उसका कहना है कि इस कैटगरी में तो फि़ल्हाल वो काम नहीं करती.
कहानियों और जीव विज्ञान की गुत्थियों के बीच एक आम मान्यता ये भी है, और जो वैज्ञानिक तौर पर थोड़ा तार्किक भी लगती है कि ज़्यादातर विवाह नज़दीकी रिश्तेदारियों में ही हो रहे हैं. और ये लोग एक तरह के आनुवंशिक अलगाव यानी जेनेटिक आइसोलेशन में रह रहे हैं.
ब्राज़ील की एक मशहूर जेनेटिसिस्ट डॉक्टर उर्सुला मात्ते ने इन लोगों पर अपने एक अध्ययन में पाया कि 1990 से 1994 तक साओ पेद्रो की दस फ़ीसद पैदायश जुड़वा बच्चों की थी. जबकि रिया ग्रांदे डो सुल राज्य में ये संख्या एक दशमलव आठ फ़ीसद थी.
इलाक़े की महिलाओं में कोंट्रासेप्टिव या फ़र्टिलिटी ड्रग के इस्तेमाल का भी कोई प्रमाण नहीं मिला. लेकिन किसी महिला को जुड़वां ही होंगे, ये जेनेटिक प्रक्रिया तब और संभाव्य है जब ज़्यादातर जुड़वां समान हों. यानी एक अकेले निषेचित अंडाणु से निष्पादित. लेकिन डॉक्टर मात्ते ने पाया कि ज़्यादातर शिशुओं का जन्म मां के बजाय पिता के गुणधर्मों से संश्लेषित था. यानी दो शुक्राणु दो अंडाणुओं को निषेचित कर रहे थे. इस विलय से पैदा जुड़वा बच्चों का संबंध जातीयता, मातृत्व की उम्र और परिवार के इतिहास से भी था. लेकिन साओ पेद्रो की अनोखी आबादी के बारे में मात्ते किसी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंचीं. लिहाजा़ इस बारे में अटकलें ही जारी हैं. कि आखिर ये जुड़वां इतनी तादाद में एक ही जगह आखिर कैसे पैदा हो रहे हैं.
तमाम बहस मुबहिसे के बीच अब ज़रा उस पानी पर लौटें जिसकी चर्चा हमनें शुरू में की थी. साओ पेद्रों में एक झरना है. लोग पहले उसका ही पानी पीते थे. उनका मानना है कि उस पानी में कुछ तत्व ऐसे हैं जो इस अनोखी प्रजनन प्रक्रिया को संभव बनाते हैं. लेकिन इस पर अभी तक कोई रिसर्च हुई नहीं है. अब इस झरने के बजाय लोग अब ज़्यादातर भूमिगत जल स्रोत पर निर्भर है. जबसे ऐसा हुआ है जुड़वा बच्चों की जन्म दर में भी कमी आयी है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि अब पानी को लेकर रिसर्च तो की जा सकती है लेकिन ये कोई सस्ता सौदा नहीं. दूसरी बात किसी हाइपोथेसिज़ की भी ज़रूरत होगी कि आखिर रिसर्च से क्या हासिल किया जाना है. लेकिन जिस ढंग से दुनिया का ध्यान इस छोटी सी जगह पर है और बेशुमार लोग यहां आते हैं तो स्थानीय निवासी भी इसी आकर्षण को जारी रहने देना चाहते हैं. उनके लिए तो आम के आम गुठलियों के दाम हैं. इसीलिए तो रहस्य से पर्दा उठाने की कोशिशों में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है.