ज्यादा खेल दिल पर खतरा
१८ अक्टूबर २०१२डॉक्टर उर्सुला हिल्डेब्रांट उन पैथोजीन्स को दुश्मन मानती हैं, जो हृदय में घुस कर मुश्किल पैदा कर देते हैं. 31 साल की हिल्डेब्रांट कोलोन के जर्मन स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी में फिजीशियन हैं. वे ऐसे खिलाड़ियों का इलाज करती हैं, जो मायोकार्डिटिस नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं. यह बीमारी हमारे हृदय पर सीधा हमला करता है और खून की धमनियों के लिए रुकावट बन जाता है.
अगर इसके बाद जलन होने लगे, तो हृदय की नसें कमजोर पड़ जाती हैं और ये सही मात्रा में खून को पंप नहीं कर पाती हैं. इसके बाद शरीर के महत्वपूर्ण अंग काम करना बंद कर सकते हैं. डॉक्टर हिल्डेब्रांट का कहना है, "मायोकार्डिटिस किसी को भी हो सकता है."
लेकिन एथलीट और ज्यादा व्यायाम करने वालों को ज्यादा खतरा रहता है. अगर कोई खिलाड़ी वायरल इंफेक्शन या सर्दी जुकाम के फौरन बाद ट्रेनिंग शुरू करता है, तो उसे इसका खतरा बहुत ज्यादा रहता है.
खेल कूद आफत
जब शरीर कमजोर रहता है, तो व्यायाम और खेल कूद आफत बन सकते हैं. व्यायाम के बाद शरीर में इंफेक्शन होने का खतरा बहुत ज्यादा रहता है. और ऐसी स्थिति में अगर बैटक्टीरिया या वायरस शरीर में घुस जाएं, तो वे खून के बहाव पर असर डाल सकते हैं.
व्यायाम करते समय हृदय में खून का प्रवाह तेज होता है. यह खून चार छेदों और इन्हें नियंत्रित करने वाले वॉल्व से होकर गुजरता है. खून इस वॉल्व के चारों ओर किसी नदी के तेज बहाव की तरह गुजरता है और वहां एक भंवर जैसी स्थिति बन जाती है. और अगर कोई फुटबॉल खेले या दौड़ लगाए तो खून का बहाव और तेज हो जाता है. ऐसी हालत में पैथोजीन्स वॉल्व के आस पास अटक सकते हैं और जलन पैदा कर सकते हैं.
हिल्डेब्रांट का कहना है कि इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि किसी बीमारी के बाद पूरी तरह अच्छे होने के बाद ही व्यायाम किया जाए, "अगर आप बुखार से उठे हैं तो आसान सा नियम बना लें कि पूरी तरह अच्छे होने के दो दिन बाद तक अभ्यास नहीं करना है." उनका कहना है कि इस दौरान भी खतरनाक वायरस शरीर के आस पास रहते हैं.
लक्षण का पता नहीं
डॉक्टर का कहना है कि पैथोजीन्स से निपटना मुश्किल होता है क्योंकि इसके सही लक्षण के बारे में पता नहीं होता है. कभी छाती में दर्द होता है, तो कभी सांस लेने में मुश्किल. इन वजहों से भी इसके बारे में देर से पता लगता है. अगर लोगों ने बीमारी के बाद ठीक होने से पहले ही अभ्यास करना शुरू कर दिया और मायोकार्डिटिस हो गया तो स्थिति इतनी खराब हो सकती है कि दिल का दौरा पड़ जाए और उनकी मौत भी हो सकती है.
जर्मन एथलीट रेने हेर्म्स 2009 में अपने अपार्टमेंट में मृत पाए गए. जांच से पता चला कि उनकी मौत मायोकार्डिटिस से हुई, जिसके बारे में पता नहीं लग पाया था. मौत से पहले वह व्यायाम कर रहे थे.
एथलीट फाबियान श्पिनराथ के साथ भी ऐसा ही हो सकता था. कई पदक जीतने वाले एथलीट को एक बार 800 मीटर की रेस के बाद बहुत ज्यादा थकान महसूस हुई. श्पिनराथ बताते हैं, "आम तौर पर आप दौड़ के बाद 10 मिनट का आराम करते हैं, मैं पांच घंटे सोता रह गया." उनके डॉक्टर को लगा कि बैक्टीरिया का हमला है और उन्हें एंटीबायोटिक दवाई दी. लेकिन छह हफ्ते बाद भी स्थिति नहीं सुधरी तो जांच की गई और पता चला कि उन्हें मायोकार्डिटिस है.
इसके बाद 18 साल के इस एथलीट को काफी मुश्किल झेलनी पड़ी. अगले छह महीने तक वह व्यायाम नहीं कर पाए. सीढ़ियों की जगह लिफ्ट से आने जाने लगे. भाग कर बस या ट्राम भी पकड़ना दूभर हो गया. लेकिन छह महीनों के इलाज के बाद अब वह पूरी तरह ठीक हैं और व्यायाम भी कर पा रहे हैं. डॉक्टर हिल्डेब्रांट कहती हैं, "हम नहीं चाहते थे कि लंबे वक्त के लिए कोई बीमारी हो जाए. अगर हमने उन्हें पहले एक्सरसाइज की अनुमति दे दी होती, तो हो सकता है कि उनके हृदय में हमेशा के लिए खराबी पैदा हो जाती."
जरूरी सलाह
मायोकार्डिटिस भी अलग अलग तरीके का होता है. लेकिन आम तौर पर खिलाड़ियों को सलाह दी जाती है कि वे छह महीने तक शारीरिक अभ्यास न करें. उन्हें शराब से भी पूरी तरह दूर रहना होता है और संयमित खाना पड़ता है. इस दौरान इलाज भी जरूरी है.
विकासशील देशों में भी मायोकार्डिटिस के मामले सामने आते हैं. डॉक्टर हिल्डेब्रांट का कहना है कि यह बहुत खतरनाक है लेकिन अगर लोग मामूली नजले जुकाम को भी गंभीरता से लें तो इससे बच सकते हैं.
रिपोर्टः योनोश डेलकर/एजेए
संपादनः महेश झा