टीम इंडिया एशिया कप में श्रीलंका से हारी
२३ जून २०१०भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 209 रन का मामूली स्कोर खड़ा किया, जो श्रीलंकाई बल्लेबाजों के लिए कोई चुनौती साबित नहीं हो पाया. कुमार संगकारा के बल्लेबाजों ने बड़ी आसानी से इस लक्ष्य को पा लिया और इस तरह भारत को एशिया कप में पहली हार का सामना करना पड़ा. श्रीलंका को अभी तक इस मुकाबले में कोई हार नहीं देखनी पड़ी है. भारत और श्रीलंका के बीच ही फाइनल मैच भी होना है.
सलामी बल्लेबाजों उपुल तरंगा और तिलकरत्ने दिलशान ने आराम से पारी की शुरुआत की और पहले विकेट के लिए 38 रन जोड़े. दिलशान आउट हुए लेकिन तरंगा चलते रहे. इसके बाद दूसरा विकेट 80 रन पर गिरा और वहां से कप्तान कुमार संगकारा और जयवर्धने ने पारी को संभाल लिया.
संगकारा ने आराम से बल्लेबाजी करते हुए तेजी से रन बटोरे, जबकि दूसरे छोर से महेला जयवर्धने ने भी उनका अच्छा साथ दिया. दोनों बल्लेबाजों ने मिल कर पारी को आसानी से जीत तक पहुंचा दिया. संगकारा ने बेहतरीन अर्धशतक बनाया और 73 रन बना कर आउट हुए. तब तक श्रीलंका की जीत पक्की हो चुकी थी.
श्रीलंका ने 37.3 ओवर में तीन विकेट के नुकसान पर 211 रन बना लिए. जयवर्धने 53 रन बना कर नाबाद रहे, जबकि कंदाम्बी सात रन बना कर आउट नहीं हुए.
इससे पहले भारत ने अच्छी शुरुआत की लेकिन परवेज महरूफ की गेंदों में उलझ कर रह गए. एक समय भारत का स्कोर चार विकेट पर 189 रन था. लेकिन चार गेंदों बाद स्कोर हो गया आठ विकेट पर 189. यानी चार गेंदों में चार विकेट. इसके बाद भारतीय पारी संभल नहीं पाई और 42.3 ओवर में 209 रन बना कर आउट हो गई.
गौतम गंभीर ने 23 और दिनेश कार्तिक ने 40 रन बना कर भारतीय टीम को अच्छा आधार दिया. इसके बाद विराट कोहली नहीं टिक पाए. लेकिन रोहित शर्मा ने 69 रन की पारी खेली. रोहित ने कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ मिल कर 79 रन की पार्टनरशिप की. लेकिन तभी धोनी रन आउट हो गए और वहीं से विकेटों का पतन भी शुरू हो गया. महरूफ ने पांच विकेट लिए.
धोनी ने 41 अच्छे रन बनाए, जबकि इसके बाद परवेज महरूफ ने लगातार तीन गेंदों पर रवींद्र जडेजा, प्रवीण कुमार और जहीर खान को आउट करके अपना हैट ट्रिक पूरा किया.
भारत और श्रीलंका की टीमें पहले ही एशिया कप के फाइनल में पहुंच चुकी हैं. लेकिन आज की जीत के साथ मेजबान टीम का आत्मविश्वास बढ़ा होगा. उसने इस टूर्नामेंट में अब तक के सारे मैच जीते हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः उ भट्टाचार्य