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टीम इंडिया को युवा खिलाड़ियों के बर्ताव पर चिंता

१७ जून २०१०

वर्ल्ड कप को आठ महीने बचे हैं और टीम इंडिया फिलहाल खुद को साबित करने के लिए एशिया कप में खेल रही है. ऐसे में टीम में ओझा और सौरभ तिवारी के बर्ताव से चिंता पैदा हो गई है.

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कुछ युवा खिलाड़ियों की शिकायततस्वीर: AP

2011 में होने वाले वर्ल्ड कप की टीम में कौन कौन होगा ये लगभग तय है लेकिन फिर भी चयनकर्ता खास भूमिका के लिए खिलाड़ी चुनना चाहते हैं. वर्ल्ड कप की टीम में अपनी दावेदारी मज़बूत करने के लिए नए खिलाड़ियों को वैसे तो कड़ी मेहनत करनी चाहिए लेकिन कुछ खिलाड़ियों को देख कर नहीं लगता कि वे ऐसा कर रहे हैं.

श्रीलंका में टीम इंडिया के प्रैक्टिस सेशन में तब अजीब सी स्थिति पैदा हो गई जब टीम के प्रशिक्षक रामजी श्रीनिवासन को प्रज्ञान ओझा और सौरभ तिवारी की खुशामद करते देखा गया वो भी इसलिए कि वे एक्सरसाइज़ कर लें.

अशोक डिंडा, रविचंद्रन अश्विन, ओझा और तिवारी को भारत बांग्लादेश मैच में लंच ब्रेक के दौरान रंगिरी दांबुला स्टेडियम के छह राउंड लगाने के लिए कहा गया था. डिंडा और अश्विन जहां ये कर रहे थे वहीं ओझा और तिवारी दौड़ लगाने में आनाकानी कर रहे थे. तो ट्रेनर श्रीनिवासन को उन्हें धक्का दे कर मैदान पर लाना पड़ा.

ये पहली बार नहीं है कि ओझा को अपने आलसीपन के लिए टीम प्रबंधन ने खींचा हो. इसके पहले न्यूज़ीलैंड के दौरे पर टीम इंडिया के पूर्व फील्डिंग कोच रॉबिन सिंह ने भी उन्हें डांटा था. वो ट्रेनिंग और एक्सरसाइज़ के दौरान हमेशा आनाकानी और आलस करते हैं.

झारखंड के खिलाड़ी लाड को रिज़र्व खिलाड़ियों में सबसे फिट माना जा रहा था और आशीष नेहरा के विकल्प के तौर पर भी. लेकिन वे इस मौके को शायद मूल्य नहीं दे रहे.

रिपोर्टः पीटीआई आभा मोंढे

संपादनः उ भ