ट्यूनीशियाई राष्ट्रपति ने सऊदी अरब में शरण ली
१५ जनवरी २०११इससे पहले फ्रांस ने कहा कि यदि ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति बेन अली वहां शरण लेने की सोच रहे हैं, तो ऐसा नहीं होगा. फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने औपचारिक रूप से इस बात की पुष्टि की है कि बेन अली ने अभी तक वहां शरण नहीं मांगी है.
साथ ही यह भी कहा कि यदि वे शरण मांगते हैं तो इस बारे में पहले ट्यूनीशिया के संवैधानिक अधिकारियों से परामर्श लिया जाएगा. एक सरकारी सूत्र ने बताया कि फ्रांस में बेन अली का स्वागत नहीं किया जाएगा. हालांकि बेन अली के सऊदी अरब में उतरने की रिपोर्टें मिल रही हैं.
यहां तक की उनके विमान को उतरने की अनुमति भी नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा, "फ्रांस में लाखों ट्यूनीशियाई आप्रवासी रहते हैं जो बेन अली के खिलाफ है, और हम उन्हें नाराज नहीं करना चाहते." फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी के कार्यालय ने भी कहा कि उन्हें बेन अली के फ्रांस में होने की कोई खबर नहीं है.
इस बीच इतालवी अधिकारियों ने बताया है कि बेन अली का विमान सार्डिनिया में कालियरी हवाई अड्डे पर ईंधन भरवाने के लिए उतरा था. हालांकि उन्होंने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि बेन अली उसी विमान में थे.
शांति बनाए रखने की अपील
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ट्यूनीशिया के लोगों के साहस और गौरव की प्रशंसा करते हुए देश में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव कराए जाने की अपील की है. अपने बयान में ओबामा ने कहा, "मैं ट्यूनीशिया में शांतिपूर्वक अपनी राय व्यक्त कर रहे नागरिकों के खिलाफ हो रही हिंसा की निंदा करता हूं."
ट्यूनीशिया की राजनीतिक पार्टियों से अपील करते हुए उन्होंने कहा, "मैं सभी पक्षों से आग्रह करता हूं कि वे शांति बनाए रखें और हिंसा से बचें. मैं सरकार से यही अपील करुंगी कि वे मानाधिकारों का सम्मान करे."
यूरोपीय संघ की प्रमुख राजनयिक कैथरीन एश्टन ने कहा, "हम ट्यूनीशिया के लोगों और उनकी लोकतांत्रिक आकांक्षाओं का समर्थन करते हैं और यह सब एक शांतिपूर्ण तरीके से प्राप्त किया जाना चाहिए. बातचीत से सभी मुद्दे हल किए जा सकते हैं. हम लोकतांत्रिक तरीके से इस संकट का समाधान खोजने में मदद का आश्वासन देते हैं."
राष्ट्रपति बेन अली के देश से भागने के साथ ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी अरब नेता को जनता के विरोध के दबाव में आ कर मजबूरी में अपना पद छोड़ना पड़ा हो. ट्यूनीशिया में अभी भी तनाव का माहौल है और कई जगहों पर गोलीबारी भी हो रही है. वित्तीय मुश्किलों में घिरी जनता ने बेन अली की सत्ता के खिलाफ प्रदर्शन किए जिससे उन्होंने सत्ता से हटने के लिए मजबूर होना पड़ा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया
संपादन: एस गौड़