ठंड में रोते चीनी बच्चे के वीडियो पर हंगामा
८ फ़रवरी २०१२वीडियो में सिर्फ अंडरपैंट और जूते पहने हुए एक नन्हा बच्चा अपने पिता की ओर दौड़ रहा है और उससे गिड़गिड़ा कर अपनी बांहों मे लेने को कह रहा है जबकि बाप वीडियो बन रहा है. कई मौकों पर मां और बाप दोनों ही अपने बेटे को बर्फ पर लेटने के लिए कहते हैं. मां के दबाव में आखिरकार वह बर्फ पर लोटता है.
बच्चे के पिता हे के निजी सहायक शिन ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा कि वह अपने बेटे को मजबूत होना सिखा रहा था. लेकिन चीन में परवरिश के परंपरागत तरीके पर बहस छिड़ गई है. लेखक एमी चुआ अपनी किताब टाइगर मदर के जरिए इसे दुनिया के सामने लाई थी और सख्ती वाली परवरिश के गुण गाए थे. उसकी ओर इशारा करते हुए बाप को "इगल डैड" नाम दिया गया है.
इस वीडियो को चीन के पूर्वी शहर नानजिंग से आने वाले बच्चे के पिता ने खुद इंटरनेट पर पोस्ट किया. इसे अब तक दसियों हजार लोग देख चुके हैं. एक नेटिजन ने वीडियो पर टिप्पणी करते हुए लिखा, "मैं इससे सहमत नहीं हूं... हमें बच्चों को खुशनुमा बचपना देना चाहिए. वे भयानक माता पिता कहते हैं कि ऐसा बच्चे की अच्छाई के लिए कर रहे हैं लेकिन मैं समझता हूं कि वे ऐसा शेखी बघारने के लिए कर रहे हैं." लोकप्रिय वेबसाइट वाइबो पर एक व्यक्ति ने पूछा, "मैं इसका समर्थन नहीं करता. मासूम बच्चा, क्या बच्चे की मां बाप को सब कुछ करने देती है जो वह करना चाहता है?"
नेट पर जो भी सवाल पूछे जा रहे हों, शिन का कहना है कि बर्फ पर दौड़ के पहले बच्चे से पूछा गया था और वह राजी हो गया था. "बच्चा राजी था और दौड़ से पहले उसने वार्म अप होने के लिए आधे घंटे की दौड़ लगाई." हे की सहायिका ने समाचार एजेंसी को बताया कि बच्चे को और कम उम्र से ही कई तरह की ट्रेनिंग मिली है. जब वह एक साल का था उसने 21 डिग्री सेल्सियस पानी में तैरना शुरू किया. शिन के मुकाबिक बच्चा समय से पहले पैदा हो गया था और दिमाग में पानी सहित उसकी कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थीं. हे की परवरिश का हवाला देते हुए उसने कहा,"लेकिन अब उसे कोई समस्या नहीं है."
हाल के दिनों में चीन में परवरिश के तरीकों पर तेज बहस छिड़ गई है जहां बच्चों पर अच्छा पढ़ने के लिए पश्चिमी देशों के बच्चों की तुलना में बहुत ज्यादा दबाव डाला जाता है. यह आम तौर पर खेल और मनोरंजन की दूसरी गतिविधियों की कीमत पर होता है. अपनी विवादास्पद किताब में येल यूनिवर्सिटी में लॉ की प्रोफेसर चुआ ने लिखा है कि उन्होंने और उनके पति ने किस तरह अपनी दो बेटियों की परवरिश के लिए चीनी तरीके का चुनाव किया. इसका मतलब था अच्छे नंबरों के लिए भारी दबाव. टेलीविजन के बदले पियानो या वायलिन की जरूरी ट्रेनिंग.चुआ ने अपनी किताब में लिखा है किस तरह उन्होंने अपनी एक बेटी को ठीक से पियानो की प्रैक्टिस नहीं करने के कारण ठंड में खड़ा कर दिया था.
पिछले साल वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस किताब के अंश प्रकाशित किए थे जिसके बाद उसकी भारी आलोचना हुई थी. चुआ का कहना है कि उन्हें ईमेल पर मौत की धमकियां भी मिलीं. हे की परवरिश के तरीके की भी आम तौर पर आलोचना की गई है लेकिन कुछ लोगों का यह भी कहना है कि अपने बच्चे को ठंड और दृढ़ता के बारे में सिखाना अच्छी बात है. लेकिन एक व्यक्ति ने लिखा है, "यदि यह तरीका रोजमर्रे की बात हो जाए तो बच्चे की सीखने की प्रक्रिया बहुत क्रूर है." एक अन्य ब्लॉगर ने लिखा, "उसका पिता क्रूर है, लेकिन उसने जो किया है वह बच्चे की भलाई में है. वह आज के दूसरे बच्चों जैसा नहीं बनेगा जो सिर्फ सेलफोन और कंप्यूटरों से खेल सकते हैं."
शिन ने कहा है कि बच्चे के पिता हे ने ऑनलाइन पर हो रही आलोचना को नजरअंदाज कर दिया है. "वह कहता है कि उसे दूसरों के कहे की परवाह नहीं है. यह तथ्य कि बच्चा जिंदा है दिखाता है कि उसमें दृढ़ जीवनशक्ति है."
रिपोर्ट: एएफपी/महेश झा
संपादन: ए जमाल