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डूबता उतरता सितारा श्रीसंत

१७ मई २०१३

बूगी वूगी से क्रिकेट ग्राउंड तक श्रीसंत का सफर अचंभित कर देने वाला रहा है. ग्लैमर और खेल की दुनिया टूटे तारों को सलाम करती है और उम्मीद करती है कि वह फिर फिर जगमगाएंगे. पर शायद श्रीसंत का तारा ज्यादा टूट चुका है.

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तस्वीर: Hamish Blair/Getty Images

केरल के एक मिडिल क्लास परिवार वाले श्रीसंत आखिरी मौके तक दम लगा देने वाले खिलाड़ी के तौर पर जाने जाते रहे हैं. आखिरी ओवरों में पसीने से तर बतर गेंदों पर नियंत्रण करने की कोशिश करने वाले गेंदबाज या पुंछल्ले बल्लेबाज के तौर पर अचानक छक्का जड़ देने वाले श्रीसंत का नाम मैच फिक्सिंग से जुड़ना परेशान करता है. यह जान कर और हैरानी होती है कि साल दो साल पहले भी उन पर शक गया था.

कभी बूगी वूगी जीतने वाले श्रीसंत ने क्रिकेट के मैदान में भी कई बार डांस का अपना हुनर दिखाया है. वह स्लेजिंग या ग्राउंड में उलटे सीधे हरकत करने से भी गुरेज नहीं करते थे. हालांकि तब समझा गया कि उनकी हर हरकत किसी भी कीमत पर जीत हासिल करने के लिए रही होगी. कभी श्रीसंत ने कहा था, "क्रिकेट मेरी जिंदगी है और मैं इसके लिए अपना सौ प्रतिशत देने को तैयार हूं." अब यह भ्रम टूटता नजर आ रहा है.

कोच्चि शहर का 22 साल का लड़का 2005 में जब भारतीय जर्सी में नजर आया, तो पूरा केरल खुश था. राज्य को क्रिकेट में इससे पहले यह नाम, यह बुलंदी किसी ने नहीं दी थी. बार बार विवाद में फंसने के बाद भी केरल के लोग श्रीसंत से प्यार किया करते थे. उन्हें उसकी प्रतिभा पर भरोसा था, जिस पर वह बार बार खरा भी उतरता आया. आईपीएल में जब कोच्चि की टीम तैयार हुई, तो श्रीसंत जैसे बिन बोले ही उसके सदस्य बन गए. हालांकि बाद में यह टीम खत्म हो गई और श्रीसंत को भी दूसरी टीम खोजनी पड़ी.

खेल के प्रति जुनून के अलावा श्रीसंत में नई बातों को सीखने का गजब का जज्बा भी था. कभी इंटरव्यू के लिए फोन पर बात करते वक्त मलयालम बोलने वाला गेंदबाज जब अचानक फर्राटेदार हिन्दी बोलने लग जाता, तो अचंभा होता. लेकिन यह उसकी शख्सियत है. कभी वह लेग स्पिनर बनना चाहता था, लेकिन बाद में तेज गेंदबाज बना और वह भी ऐसा कि कई बार भारत के लिए गेंदबाजी की ओपनिंग की.

Indien Kricketspieler Sreesanth
क्या टूटा श्रीसंततस्वीर: IAN KINGTON/AFP/Getty Images

क्रिकेट के लिए सब कुछ झोंक देने का दावा करने के बावजूद श्रीसंत को उनकी किसी पारी या गेंदबाजी के लिए नहीं, बल्कि उलटे सीधे हरकतों के लिए याद किया जाता है. कभी सचिन तेंदुलकर के खिलाफ स्लेजिंग किया, तो कभी मैथ्यू हेडन और एंड्रयू साइंमड्स के खिलाफ. कभी अचानक चौका छक्का जड़ने के बाद गेंदबाजों को चिढ़ाने के लिए मैदान पर ही डांस करने लगे. बूगी वूगी का इतिहास इस डांस को जरा परफेक्ट बनाता और गेंदबाज गुस्से में रन अप की ओर निकल जाता.

लेकिन हरभजन सिंह के साथ 2008 के आईपील के दौरान उनका झगड़ा और बाद में रोते हुए मीडिया के सामने आना इससे पहले तक का सबसे बड़ा स्कूप था. कहा गया कि तब पंजाब एलेवन के लिए खेलने वाले श्रीसंत ने मुंबई इंडियंस के भज्जी से बदतमीजी की और गुस्से में भज्जी ने उन्हें ड्रेसिंग रूम में थप्पड़ जड़ दिया. इसके बाद तरह तरह की बातें हुईं, सच्चाई किसी को पता नहीं थी, सिर्फ श्रीसंत का गाल पकड़ कर रोते हुए चेहरा सबको याद रहा. पिछले महीनों में श्रीसंत ने यह भी कहा कि उन्हें थप्पड़ नहीं जड़ा गया था, बल्कि कुहनी से धक्का दिया गया था. इस पूरे मामले में कसूरवार हरभजन सिंह लग रहे थे, फिर भी श्रीसंत को लेकर लोगों में बहुत ज्यादा सहानुभूति पैदा नहीं हो पाई.

श्रीसंत कोई प्रतिभा के धनी नहीं, बल्कि मेहनत के बल पर क्रिकेट में बने रहने वाले खिलाड़ी हैं. हाल के दिनों में शायद मेहनत कम हो गई है या फिर यह रंग नहीं ला रही है कि वह टीम में अंदर बाहर हो रहे हैं. जेल की सलाखों के पीछे जाने के बाद श्रीसंत एक बार फिर बाउंस बैक करने की कोशिश करेंगे, बशर्ते उन्हें एक और मौका मिले.

ब्लॉगः अनवर जे अशरफ

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन

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