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डोपिंग नमूनों की होगी दोबारा जांच

२७ नवम्बर २०१२

कड़ी आलोचना के बाद ओलंपिक संघ ने डोपिंग के लिए इकट्ठा नमूनों की दोबारा जांच का फैसला किया है. ये नमूने 2004 में एथेंस ओलंपिक के दौरान इकट्ठा किए गए.

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तस्वीर: AP

डॉयचे वेले और जर्मनी के टीवी चैनल एआरडी की रिपोर्ट के बाद अब पता चला है कि 2004 ओलंपिक में डोपिंग के लिए इकट्ठा नमूनों की जांच आधी अधूरी की गई. उस साल लिए गए 3,700 नमूनों में से सिर्फ 110 की ही फिर से जांच हुई. जबकि अंतरराष्ट्रीय एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) ने इससे तिगुने ज्यादा सैंपलों की जांच की सलाह दी थी. सिर्फ 110 दोबारा जांच में से भी पांच खिलाड़ियों को डोपिंग टेस्ट में फेल पाया गया.

वाडा के अध्यक्ष जॉन फाए ने आईओसी की पहली बार सार्वजनिक आलोचना की है और पूछा है, "आठ साल तक सैंपल लिए ही क्यों अगर आप उन्हें फिर से टेस्ट नहीं करना चाहते. उन्हें फेंक दीजिए, पैसे और जगह बचाइए."

किसी भी खिलाड़ी को डोपिंग नियमों के उल्लंघन के लिए सजा नहीं भी हो सकती है बशर्ते वही गलती कोई खिलाड़ी आठ साल के अंदर दोबारा नहीं करे. यह वाडा का आर्टिकल 17 का नियम है."

वाडा के अध्यक्ष रहे डिर्क पाउंड अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रभावशाली सदस्य रहे हैं वह इस आलोचना का खंडन नहीं करते, "हमने मौका खो दिया. 100 नमूनों से मिले नतीजे से साफ है कि हमें कुछ और भी मिलता. हमें 100 नमूनों की फिर से टेस्ट से पांच या छह और पॉजीटिव मिलते. इससे हमें आगे बढ़ने में उत्साह मिलता, खास कर खेल में डोपिंग का विरोध करने के मामले में जैसा कि आईओसी कहती है."

एआरडी चैनल की सूचना के मुताबिक पूर्वी यूरोप के पांच खिलाड़ी जिन्होंने मेडल जीते थे वे डोपिंग टेस्ट में फेल हो गए. यूक्रेन के गोला फेंक स्वर्ण पदक विजेता यूरी बेलोगोन, इसी खेल में कांस्य पदक जीती रूसी महिला स्वेतलाना क्रिवेलियोवा, भारत्तोलन में कांस्य जीतने वाले रूसी ओलेग पेरेपेच्नोव, डिस्क थ्रो में बेलारूस की कांस्य पदक विजेता इरिना यात्चेंको, और हैमर थ्रो में रजत विजेता बेलारूस के इवलन सिखान का नाम लंदन ओलंपिक से पहले ही सामने आ गया था.

John Fahey WADA World Anti-Doping Agency
वाडा के अध्यक्ष जॉन फाहेतस्वीर: AP

सभी दावा करते हैं कि उन्होंने प्रतिबंधित पदार्थ कभी नहीं लिया. आईओसी चिकित्सा आयोग के प्रमुख आर्ने ल्युंगक्विस्ट बताते हैं कि यह सूचना सार्वजनिक क्यों नहीं हो सकी, "बीच में लंदन के खेल थे. यह सब कुछ उसके साथ हो रहा था. पूरा अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ पहले और बाद में खेलों में व्यस्त था. यह प्राथमिकता नहीं थी. हमारे पास जानकारी थी और सामान भी हमारे पास है और जल्द ही इस पर कार्रवाई भी होगी."

एआरडी का कहना है कि एथेंस में स्टार खिलाड़ी रहे 100 मीटर चैंपियन जस्टिन गैटलिन के नमूनों को फिर से नहीं जांचा गया. जबकि दो ही साल बाद 2006 में अमेरिकी खिलाड़ी को प्रदर्शन अच्छा करने वाली दवाओं का सेवन करने का दोषी पाया गया था. यही प्रतिबंधित पदार्थ पूर्वी यूरोपीय देशों के पांच खिलाड़ियों में भी मिला था.

स्पोर्ट्स डॉक्टर और जीन डोपिंग शोधकर्ता पेरिक्लेस सिमोन आईओसी की आलोतना करते हैं, "मेरा मानना है कि आईओसी इन नमूनों की फिर से जांच ही नहीं करना चाहता था. हम जानते हैं कि एथेंस में ऐसे खिलाड़ी थे जिन्हें बाद में डोपिंग का दोषी पाया गया. इसलिए बहुत जरूरी है कि इन खिलाड़ियों को बहुत सावधानी से फिर से जांचा जाए."

एथेंस में लिए गए नमूनों की फिर से जांच का मामला और आईओसी की एंटी डोपिंग के मामले में गंभीरता पर बहस अभी निश्चित ही कुछ और समय चलेगी.

रिपोर्टः फ्लोरियान बाउअर/एएम

संपादनः ए जमाल

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