डोपिंग पर अदालत जाएगा लेवरकूजेन
३ नवम्बर २०१२शनिवार को लेवरकूजेन ने यह साफ कर दिया कि वह यूएफा की नई पाबंदियों के खिलाफ खेल अदालत में अपील करने जा रही है. जर्मन टीम पर हाल ही में 25000 यूरो यानी करीब साढ़े 17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. लेवरकूजेन की टीम पर यह जुर्माना खिलाड़ियों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम यूएफा के पास काफी देर से भेजने और बीमार खिलाड़ियों के बारे में समय से जानकारी नहीं देने के लिए लगाया गया है. यह सारे मामले सितंबर 2011 में मुकाबले से बाहर के एक मैच के दौरान हुए थे.
लेवरकूजेन के प्रवक्ता माइनोल्फ स्प्रिंक ने समाचार एजेंसी डीपीए से कहा, "बायर ने जुर्माना स्वीकार कर लिया है लेकिन हम खुद को बचाने के लिए कोशिश कर रहे हैं क्योंकि जान बूझ कर हम पर कार्रवाई की गई है." जर्मन अखबार जुडडॉयचे साइटुंग ने इस बारे में शनिवार को खबर छापी है. अखबार का कहना है कि खेल की सर्वोच्च अदालत कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (सीएएस) ने इस मामले की सुनवाई के लिए 30 नवंबर की तारीख तय की है.
यूएफा का कहना है कि यूरोपा लीग में शामिल लेवरकूजेन ने उस वक्त अगले हफ्ते के लिए खिलाड़ियों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम नहीं भेजा था. इसके लिए समय सीमा शुक्रवार दोपहर तक थी. यूरोपीय मुकाबले में शामिल होने वाली सभी टीमों के लिए ऐसा करना जरूरी है. 10 खिलाड़ियों का परीक्षण 23 सितंबर 2011 को किया गया जब यूएफा और जर्मनी की एंटी डोपिंग एजेंसी के सदस्य क्लब में आए. एक खिलाड़ी के उस दौरान वहां मौजूद नहीं रहने के कारण उसका परीक्षण नहीं हो सका. नियम के मुताबिक उस खिलाड़ी को उस वक्त वहां होना चाहिए था लेकिन वह नहीं था.
स्प्रिंक का कहना है कि खिलाड़ी ट्रेनिंग के लिए जा रहा था, लेकिन क्लब के डॉक्टरों ने उसे वापस लौटने और घर पर रहने को कहा क्योंकि फ्लू का खतरा था. बायर पर आरोप है कि उसने कथित रूप से यूएफा को इस बारे में तुरंत बताने की बजाय आधे घंटे देर से बताया. हालांकि स्प्रिंक का कहना है कि मैदान में मौजूद परीक्षकों को इस बारे में तुरंत बता दिया गया था और उसके बाद फैक्स भेज दिया गया. लेवरकूजेन अब चाहता है कि सीएएस तय कर दे कि नियमावली में "तुरंत" शब्द की परिभाषा क्या है.
एनआर/एमजे (डीपीए)