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ड्रोन हमले में 8 चरमपंथियों की मौत

८ जनवरी २०१३

उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान में अमेरिकी ड्रोन मिसाइल के हमले में अल कायदा के एक बड़े नेता समेत कम से कम आठ चरमपंथी मारे गए हैं. पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के मुताबिक हमले में तीन लोग घायल भी हुए हैं.

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तस्वीर: REUTERS/Stuart Phillips/U.S. Navy/Handout

अफगान सीमा पर उत्तरी वजीरिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर मीर अली के पास हैदर खेल गांव के दो परिसरों पर कई मिसाइलों ने एक साथ धावा बोला. नाम जाहिर न करने की शर्त पर एक पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी ने बताया. "तड़के हुए हमले में मारे गए लोगों में अल कायदा का नेता शेख यासीन अल सोमाली भी शामिल है." अल सोमाली को अल कायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी का प्रमुख सहयोगी बताया जाता है. वह अफगानिस्तान, पाकिस्तान में अल कायदा के आतंकियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का उप प्रमुख रह चुका है.

सोमालिया में जन्मा 40 साल का लेबनानी नागरिक अल सोमाली दो साल से उत्तरी वजीरिस्तान में रह रहा था. पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी ने बताया कि ड्रोन हमले में मारे गए बाकी लोगों की पहचान अभी नहीं हो सकती है लेकिन इमें से कुछ विदेशी लड़ाके हैं. इनमें कुछ तुर्कमेनिस्तान के नागरिक भी हैं. इससे पहले रविवार को भी अमेरिका ने दक्षिणी वजीरिस्तान में चरमपंथियों के एक ठिकाने को निशाना बनाया था जिसमें 12 चरमपंथी मारे गए.

Symbolbild Geheimdienst Deutsche Islamisten in Pakistan
तस्वीर: picture-alliance/dpa

पिछले हफ्ते भी इसी तरह के एक हमले में तालिबान कमांडर मौलवी नजीर की मौत का दावा किया गया है. नजीर के लड़ाके अफगानिस्तान में अमेरिकी और गठबंधन सेना को तो निशाना बना रहे हैं लेकिन पाकिस्तानी सेना के साथ उन्होंने एक दूसरे के खिलाफ हमला न करने पर एक गुपचुप सहमति बना रखी है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों को बुला कर कई बार इस तरह के हमलों पर विरोध दर्ज कराया है. पाकिस्तान इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है. इतना ही नहीं इन हमलों की वजह से कुछ दूसरे नुकसान भी हैं. बड़ी संख्या में आम लोग भी इन हमलों के शिकार बनते हैं और इस वजह से स्थानीय लोगों का गुस्सा भड़कता है और चरमपंथ के प्रति लोगों के मन में सहानुभूति और प्रेरणा पैदा होती है.

मुनाफा न कमाने वाले लंदन के ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म के मुताबिक पाकिस्तान में अमेरिका ने 350 से ज्यादा ड्रोन हमले किए हैं. 2004 से अब तक इन हमलों में कम से कम 2,635 लोगों की जान गई है जिसमें 889 आम लोग थे. इनमें बच्चे भी शामिल हैं. 2009 में राष्ट्रपति बराक ओबामा के सत्ता संभालने के बाद इन हमलों की धार और तेज हो गई. अमेरिका के चुनावी साल 2012 में इसकी आंच थोड़ी मद्धम जरूर पड़ी लेकिन ओबामा के दोबारा जीतने के साथ ही इसमें जबरदस्त तेजी आ गई है.

एनआर/एजेए (डीपीए)

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