"तमिल समस्या जल्द सुलझाए श्रीलंका"
११ जून २०११भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन ने कोलंबो में श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे से मुलाकात के बाद कहा, "जितनी जल्दी श्रीलंकाई सरकार तमिलों के साथ राजनीतिक हल निकालती है, उतना ही बेहतर होगा." मेनन के साथ भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव और रक्षा सचिव प्रदीप कुमार ने भी श्रीलंका का दौरा किया.
लिट्टे खत्म, समस्याएं नहीं
मेनन ने बताया कि श्रीलंका की सरकार पहले ही संविधान के 13वें संशोधन में सुधार करने की बात कह चुकी है. 1987 से इस संवैधानिक प्रावधान के मुताबिक समस्या के राजनीतिक समधान के लिए क्षेत्रीय स्वायत्तता देने की बात कही गई है.
यह विवादित प्रावधान भारत और श्रीलंका के बीच 1987 में हुए शांति समझौते का नतीजा था. इसका मकसद तमिल अलगाववाद को खत्म करना था जिसे हासिल नहीं किया जा सका. 2009 में श्रीलंका सेना के अभियान में तमिल विद्रोही संगठन लिट्टे का सफाया हुआ. लेकिन आम तमिलों की समस्याएं बराबर बनी हुई हैं.
जयललिता पर बात नहीं
राजपक्षे से दो घंटे लंबी मुलाकात के बाद भारतीय अधिकारी तमिल नेताओं से मिले और फिर स्वदेश रवाना हो गए. भारतीय अधिकारियों का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब तमिलनाडु विधानसभा ने हाल में एक प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार से श्रीलंकाई सरकार पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की मांग की है. मेनन ने कहा कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता के हालिया बयानों पर उनकी बातचीत में कोई चर्चा नहीं हुई. मेनन ने कहा, "श्रीलंकाई सरकार का कहना है कि इस बारे में वह सीधे केंद्र सरकार से बातचीत करेंगे."
इससे पहले श्रीलंकाई सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि भारतीय प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति राजपक्षे की ओर से श्रीलंका यात्रा का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है. मेनन ने इस बारे में एक पत्र राजपक्षे को सौंपा. यह साफ नहीं है कि प्रधानमंत्री कब श्रीलंका का दौरा करेंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः वी कुमार