तालिबान का हमले से इनकार
३ मार्च २०१४इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख सिकंदर हयात ने बताया कि दो हमलावर थे. उन्होंने विस्फोटकों से भरा जैकेट पहना था. हमलावर कोर्ट के परिसर में दौड़ते हुए घुसे, उन्होंने हैंड ग्रेनेड फेंके और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. टेलीविजन चैनलों से बात करते हुए हयात ने कहा कि यह आतंकवादी हमला है.
पुलिस के मुताबिक एक हमलावर ने जज के दरवाजे के सामने और दूसरे ने अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष के कार्यालय के बाहर खुद को उड़ा दिया.
इस्लामाबाद के अस्पताल पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के डॉक्टर अल्ताफ ने बताया कि 11 मृतकों में दो जज और पांच वकील हैं. ज्यादातर लोगों फायरिंग में जख्मी हुए हैं. पांच की हालत गंभीर है.
हमलावरों की संख्या पर संदेह
चश्मदीदों के मुताबिक हमलावर दो से ज्यादा थे. हालांकि हमले के बाद कोर्ट परिसर की तलाशी ली गई, लेकिन वहां कोई हमलावर नहीं मिला. पुलिस अधिकारी जमील हाशमी ने बताया कि वे करीब छह से आठ हमलावर थे जो कोर्ट परिसर के अलग अलग हिस्सों में बिखर गए. उन्होंने कहा, "उनमें से एक हमलावर न्यायकक्ष में घुस आया और उसने जज पर गोली चलाकर उन्हें मार डाला."
वकील मुराद अली का भी कहना है कि उन्होंने हथियारों से लैस कई हमलावरों को कमरों की तरफ बढ़ते हुए देखा. अली ने बताया, "उनके पास ऑटोमैटिक हथियार थे. उनके पास हथगोले थे. मैंने उन्हें एक महिला वकील को गोली मारते हुए देखा." उनके हाथ खून से सने हुए थे. उन्होंने बताया चार मृतकों को बाहर निकालने में उनके साथ ऐसा हुआ.
अब तक हमले की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली. पाकिस्तान में पेशावर और कराची जैसे इलाकों में आतंकवादी हमलों की घटनाएं आम हैं लेकिन इस्लामाबाद में यह इस स्तर का पहला हमला है. आमतौर पर इस्लामाद अन्य इलाकों के मुकाबले सुरक्षित माना जाता है.
तालिबान का इनकार
हमला ऐसे वक्त में हुआ है जब पाकिस्तानी तालिबान संघर्षविराम की घोषणा कर चुका है. कुछ दिन पहले 23 अर्धसैनिक बलों की हत्या के बाद पाकिस्तानी वायुसेना ने तालिबान के खिलाफ हवाई हमले शुरू किये हैं. हवाई हमलों के बाद तालिबान ने महीने भर के संघर्षविराम का एलान किया.
सोमवार के हमले का बाद भी पाकिस्तानी तालिबान के प्रवक्ता ने टेलीफोन के जरिए हमले की जिम्मेदारी लेने से इनकार किया. उनका कहना है कि इस्लामाबाद हमले में संगठन का कोई हाथ नहीं और वे युद्धविराम की बात पर कायम हैं.
ताजा हमला दिखाता है कि पाकिस्तानी तालिबान और सरकार के बीच शुरू हुई शांति वार्ता के रास्ते में ढेरों बाधाएं हैं. पाकिस्तानी तालिबान संगठन में अंदर ही कई अलग अलग गुट मौजूद हैं. जानकारों का मानना है कि जहां एक गुट शांति वार्ता के रास्ते को चुनता भी है तो दूसरा उसे सफल नहीं होने देना चाहता.
एसएफ/ओएसजे (एपी)