तिब्बत के निर्वासित प्रधानमंत्री पहली बार यूरोप में
२० नवम्बर २०११पैरिस में तिब्बत कार्यालय के प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी एएफपी को जानकारी दी कि प्रधानमंत्री लोबसांग सांगे यूरोप के सात देशों का दौरा करेंगे.
इस यात्रा के दौरान वह सांसदों, विदेशों में रह रहे तिब्बती मूल के लोगों और तिब्बत का समर्थन करने वाले गुटों से मुलाकात करेंगे. सांगे का दौरा स्विटजरलैंड से शुरू होगा जहां वह 21 नवंबर को पहुंचेंगे. 2 दिसंबर को ब्रिटेन में उनकी यात्रा पूरी होगी. इस बीच वह फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, नॉर्वे और स्वीडन भी जाएंगे.
43 साल के सांगे हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़े हैं और इसी साल अप्रैल में लोबसांग सांगे को निर्वासन में रह रहे तिब्बती लोगों ने अपना प्रधानमंत्री चुना. तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने जब खुद को राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त करने का एलान किया तब नए प्रधानमंत्री का चुनाव हुआ. इसी साल अगस्त में उन्होंने अपना कार्यभार संभाला.
अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने पिछले हफ्ते तिब्बतियों के साथ चीन सरकार के रवैये पर आवाज उठाई थी. चीनी शासन के बर्ताव से तंग आकर पिछले कुछ महीनों में कई महिला और पुरुष भिक्षुओं ने आत्मदाह किया है. पिछले महीने अमेरिका की यात्रा के दौरान सांगे ने अमेरिका से अपील की थी, "चीन सरकार को यह समझाएं कि तिब्बत में लोगों का दुख बढ़ रहा है, इस तरह की कठोर नीति अपनाना काम नहीं आ रहा."
तिब्बत के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि अब तक कम से कम पांच पुरुष और दो महिला भिक्षुओं की मौत हुई है. पुलिस ने ऐसे मौकों पर मदद करने की बजाए जलते भिक्षुओं और उनके सहयोगियों की बेहरहमी से पिटाई की. तिब्बतियों के धार्मिक और राजनीतिक नेता दलाई लामा चीनी सरकार के खिलाफ एक नाकाम विद्रोह के बाद वहां से 1959 में भाग निकले. बाद में उन्हें भारत ने उन्हें अपने यहां रहने की आजादी और सुविधाएं दी. यहां उन्होंने तिब्बती लोगों की निर्वासित सरकार का गठन किया.
तिब्बत के लोग चीन सरकार के अधीन रहते हुए स्वायत्तता की मांग करते हैं लेकिन चीन की सरकार इसके लिए रजामंद नहीं है वो उनकी हर मांग को चीन तोड़ने की साजिश करार देती है.
रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन
संपादनः ओ सिंह