तेंदुलकर को बॉलिंग करना मिस करेंगे मुरलीधरन
२५ जुलाई २०१०18 साल के अपने शानदार करियर का अंत भी मुरलीधरन ने बेहद खूबसूरत अंदाज में किया. गॉल में श्रीलंका को भारत के खिलाफ 10 विकेट से जिताने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई. लेकिन क्रिकेट को न भूल पाना उनकी कमजोरी है. मुरली कहते हैं, "ड्रेसिंग रूम के माहौल की मुझे याद आएगी. पांच दिन तक चलने वाले टेस्ट क्रिकेट और फिर सचिन तेंदुलकर जैसे महान खिलाड़ियों को टेस्ट में बॉलिंग न कर पाने का मलाल रहेगा."
लेकिन मुरलीधरन को रिटायरमेंट के फैसले का अफसोस नहीं है. वह नहीं मानते कि उन्होंने समय से पहले टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया. "मुझे नहीं लगता कि यह जल्दबाजी में लिया गया फैसला है. मैं काफी समय से इसके बारे में सोच रहा था और मुझे लगा कि अब समय आ गया है."
मुरलीधरन ने अपने आखिरी टेस्ट में इतिहास रच दिया. वह टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में 800 विकेट झटकने वाले पहले खिलाड़ी बन गए. जिस गेंद पर उन्होंने 800वां विकेट लिया वही उनके टेस्ट करियर की आखिरी गेंद बन गई.
वैसे मुरलीधरन मानते हैं कि उन्हें भरोसा नहीं था कि वह इस कीर्तिमान को बना देंगे. "मेरी पत्नी सहित कई लोगों ने मुझे सलाह दी कि मुझे भारत के खिलाफ पूरी सीरीज खेलनी चाहिए लेकिन मैं सिर्फ गॉल टेस्ट ही खेलना चाहता था. मुझे बिलकुल भरोसा नहीं था कि आठ विकेट लेकर मैं 800 विकेटों का रिकॉर्ड बना दूंगा."
मुरली का कहना है वह रिकॉर्ड से ज्यादा जीत के बारे में सोच रहे थे क्योंकि जीत ज्यादा जरूरी है. हालांकि उन्होंने इस बात को नहीं छिपाया कि प्रज्ञान ओझा के रूप में 800वां विकेट लेने पर उन्होंने महसूस किया कि वह बुलंदियों को छू चुके हैं. "मेरे साथी खिलाड़ियों ने मुझे गले से लगा लिया. हर कोई खुश था. वह बेशकीमती लम्हा था और मैं उसे कभी नहीं भुला पाऊंगा."
मुरलीधरन इस बात को नहीं मानते कि अब कोई भी गेंदबाज उनके इस रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाएगा. मुरली का मानना है कि क्रिकेट में किसी भी बात की गारंटी नहीं है. उन्होंने जब क्रिकेट खेलना शुरू किया तो वह नहीं सोचते थे कि 800 विकेटों का रिकॉर्ड कायम कर देंगे. वैसे मुरलीधरन का वनडे क्रिकेट में भी धमाकेदार प्रदर्शन रहा है और उन्होंने 515 विकेट झटके हैं.
भविष्य की योजना पर मुरलीधरन कहते हैं कि वह अगले दो सालों तक ट्वेंटी20 क्रिकेट खेलना चाहते हैं लेकिन राजनीति में उतरने का उनका कोई इरादा नहीं है. मुरली की राय में राजनीति उनके बस की बात नहीं है. वह युवा भारतीय गेंदबाजों को ट्रेनिंग देने में भी दिलचस्पी नहीं दिखाते और कहते हैं कि इसके लिए अनिल कुंबले बेहतर विकल्प हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए कुमार