तेल और गैस पर चीन-रूस की बातचीत
१२ अक्टूबर २००९पुतिन पर उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि वे तेल से होने वाले मुनाफ़े का सही जगह इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. साथ ही भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भी कुछ ख़ास क़दम नहीं उठाए जा रहे हैं. गौर्बाचौव का यह बयान ऐसे वक़्त में आया है जब रूसी प्रधानमंत्री पुतिन चीन के दौरे पर हैं.
तेल और गैस केंद्र में
रूस के प्रधानमंत्री व्लादीमीर पुतिन तीन दिन के चीन दौरे पर हैं. इस दौरान पुतिन तेल, गैस और अन्य कूटनीतिक मुद्दों पर रूस और चीन के बीच सहयोग पर बात करेंगे. बताया जाता है कि इस तीन दिवसीय दौरे पर चीन के थियाचिन शहर में तेल रिफ़ाइनरी लगाई जाने की बात को भी पुतिन आगे बढ़ाएंगे. रूस के उप प्रधानमंत्री एलेग्ज़ैंडर ज़ुखौव का कहना है कि पुतिन के चीन दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच ऊर्जा, खनन, परिवहन आदि के विकास को लेकर साढ़े पांच अरब अमेरिकी डॉलर की डील होने वाली है.
पास आ रहे हैं रूस-चीन
रूस और चीन के बीच नज़दीकियां लगातार बढ़ती जा रही हैं. आर्थिक रूप से उभरता चीन रूस के लिए एक चुनौती हो सकता है लेकिन चीन क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव के प्रति संतुलन क़ायम करता है और यही बात रूस और चीन को नज़दीक लाती है. और उनके बीर आर्थिक रिश्ते भी बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं.
गौर्बचौव का आरोप
उधर सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति मिखाइल गौर्बचौव ने राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वदेव और प्रधानमंत्री पुतिन पर तेल से होने वाले मुनाफ़े को लेकर अव्यवस्था का आरोप लगाया है. बर्लिन दीवार गिरने की 20वीं सालगिरह पर फ्रांस के दैनिक ले फिगारो को दिए गए इंटरव्यू में गौर्बचौव ने कहा कि पुतिन और मेद्वदेव ने तेल की बिक्री से आने वाले मुनाफ़ों का ठीक जगह निवेश करने में विफल रहे हैं. उनका आरोप है कि ये दोनों देश में बढ़ते भ्रष्टाचार को कम करने के लिए भी कुछ नहीं कर सके.
गौर्बचौव कहते हैं कि तेल की बिक्री से होने वाले मुनाफ़े का एक बड़ा हिस्सा देश के आधुनिकरण और आर्थिक प्रगति में लगाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने ये भी कहा कि पुतिन ने राष्ट्रपति के तौर पर अच्छा काम किया लेकिन जिस आधुनिकता की देश को ज़रूरत है, वह नहीं हो आ पा रही है.
रिपोर्टः एजेंसियां/अशोक कुमार
संपादनः आभा मोंढे