तेल के रिसाव से पर्यावरण को ख़तरा
२७ अप्रैल २०१०धमाके में 11 कर्मचारियों की मौत तो हुई ही, साथ ही तेल की मैली चादर से सैंकड़ों समुद्री जानवरों और चिड़ियों को नुकसान पहुँचा है. अमेरिकी वैज्ञानिकों का मानना है कि 1500 मीटर की गहराई में रिग के छेद को बंद करने से तेल का रिसना बंद हो जाएगा. इसके लिए वैज्ञानिकों ने दूरनियंत्रित चार ख़ास रोबोट भेजे हैं, जो 450 टन भारी एक सुरक्षा द्वार को चला कर रिसाव वाले छेद को बंद करने की कोशिश करेंगे. इससे तेल का रिसाव कम हो जाएगा.
लेकिन इस बीच तेल कंपनी ब्रिटिश पेट्रोलियम और अमेरिकी तट सुरक्षा बल को शक है कि रोबोट यह काम कर पाएंगे. बीपी के एक विशेषज्ञ कहते है, "एक तो हमें यही पता नहीं है कि धमाके के बाद 15 मीटर लंबे सुरक्षा द्वार का, जिसे हम ब्लो आउट प्रिवेंटर कहते हैं, क्या हालत है."
इसके अलावा 1500 मीटर की गहराई मेंकिसी रोबोट को दूर से संचालित करना भी कठिन काम है. इतनी गहराई में पता भी नहीं चल पाएगा कि किस रोबोट तकनीक को इस्तेमाल करना चाहिये. लेकिन रोबोट से अच्छा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है. बीपी के विशेषज्ञ का कहना है," इसमें महीनों लग सकते हैं."
इसके अलावा और कोई चारा नहीं है. बीपी ने इस बीच दुर्घट्ना वाले इलाके में दो पंप गाड़े हैं. इनके ज़रिए दुर्घट्नाग्रस्त प्लैटफॉर्म में छेद को बंद किया जाएगा. साथ ही, तेल को समुद्र में फैलने से रोकने के लिए एक बड़े-से कटोरे के आकार का यंत्र भी भेजा जाएगा जो तेल को जमा करेगा और उसे समुद्र में फैलने से रोकेगा. टेक्सस यूनिवर्सिटी के तेल विशेषज्ञ मैक्कोरमैक कहते हैं कि इस तरह के कटोरों का पहले भी इस्तेमाल किया गया है लेकिन इस बार गहराई बहुत ज्यादा है.
जल्दी इस बात की है कि हवा की दिशा के बदलने से तेल का रिसाव लुईसियाना के साथ साथ और कई राज्यों के तटों तक पहुंच जाएगा. इससे व्हेल मछलियों, पेलिकन, कोरल द्वीपों और मेक्सिको की खाड़ी में कई समुद्री प्राणियों को नुकसान होगा. मैक्कोरमैक का कहना है कि समुद्र में गहराई में तेल ढ़ूंढने की कीमत तो हमें किसी न किसी तरह चुकानी ही होगी.
रिपोर्टः एजेंसियां/ एम गोपालकृष्णन
संपादनः राम यादव