थरूर को ले डूबा आईपीएल विवाद
१९ अप्रैल २०१०हफ़्ते भर तक चले विवाद के बाद आख़िरकार शशि थरूर को विदेश राज्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना ही पड़ा. शनिवार को ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने थरूर का बचाव करते हुए राजनीति में उतार चढ़ाव की बात कही. लेकिन पार्टी के बढ़ते दवाब के चलते थरूर की कुर्सी चली गई.
सोनिया गांधी की अगुवाई में कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक प्रधानमंत्री के घर पर हुई. क़रीब घंटे भर तक चली इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता हरीश खरे ने कहा, ''विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा देते हुए प्रधानमंत्री को त्यागपत्र दिया. प्रधानमंत्री ने इस्तीफ़ा मंज़ूर करते हुए इसे राष्ट्रपति को भेज दिया.'' राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने भी इस्तीफ़ा मंज़ूर कर लिया है.
कहा जा रहा है कि ख़ुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने थरूर से इस्तीफ़ा देने के लिए कहा. इस्तीफ़ा देते ही थरूर बिना लालबत्ती वाली गाड़ी में प्रधानमंत्री कार्यालय से निकले. बतौर मंत्री थरूर अपने 11 महीने के कार्यकाल के दौरान बार बाद विवादों में आए. लेकिन आईपीएल के ताज़ा मामले ने उनकी पारी को विराम दे दिया.
थरूर पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अपनी महिला मित्र सुनंदा पुष्कर फायदा पहुंचाया. सुनंदा पुष्कर को आईपीएल की कोच्चि टीम में 70 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी देने की पेशकश की गई थी. विपक्ष का आरोप है कि थरूर ने इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया है और इसलिए उन्हें मंत्रिमंडल से ही नहीं बल्कि कांग्रेस भी निकाला जाए. बीजेपी का कहना है कि सुनंदा पुष्कर की तरफ से अपने हिस्सेदारी छोड़ने के बाद भी वह थरूर की बर्खास्तगी की मांग पर कायम है.
वैसे कांग्रेस यह कहकर पहले ही थरूर विवाद से खुद को अलग कर चुकी है कि इस बारे में उन्हें ही स्पष्टीकरण देना है. थरूर इस मुद्दे पर संसद में अपनी सफाई दे चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी कांग्रेस के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है. विवाद इस बात को लेकर है कि कोच्चि फ्रैंचाइजी में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए थरूर की दोस्त सुनंदा पुष्कर के पास 70 करोड़ रुपये की बड़ी रकम कहां से आई. थरूर इस सिलसिले में किसी भी तरह अपने पद के दुरुपयोग से इनकार करते हैं. मामले की जांच अब आयकर विभाग भी कर रहा है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: आभा मोंढे