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दक्षिण सूडान का वर्तमान और भविष्य

९ जुलाई २०११

दुनिया का 193वां देश बनने वाला दक्षिण सूडान प्राकृतिक संसाधनों से मालामाल है. देश के पास तेल के व्यापक भंडार हैं लेकिन इसके बावजूद दक्षिण सूडान काफी पिछड़ा हुआ राष्ट्र है. चलिए दक्षिण सूडान को जानते हैं.

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तस्वीर: ap

दक्षिण सूडान इतना पिछड़ा है कि वहां आबादी कितनी है, अभी तक इसी के सही आंकड़े नहीं हैं. अनुमान के मुताबिक दक्षिण सूडान की जनसंख्या 75 लाख से 97 लाख के बीच है. देश का क्षेत्रफल 6,19,745 वर्ग किलोमीटर है. क्षेत्रफल के आधार पर दक्षिण सूडान स्पेन और पुर्तगाल के कुल आकार से बड़ा है.

ईसाई बहुल आबादी वाले दक्षिण सूडान में चार भाषाएं लिखी और बोली जाती है. अंग्रेजी और अरबी आधिकारिक भाषाएं हैं, जबकि जुबा अरबी और दिनका भी प्रचलित भाषाएं हैं.

बंटवारा और बैर

प्राकृतिक संसाधनों के मामले में दक्षिण सूडान धनी है. वहां कच्चे तेल का अपार भंडार है. लेकिन पाइपलाइनों के जरिए उत्तर सूडान से होकर तेल का निर्यात किया जाता है. अब देखना होगा कि आजादी के बाद तेल के निर्यात को लेकर दोनों देश कैसे मतभेद सुलझाते हैं. उत्तर सूडान धमकी दे चुका है कि अगर युद्घ भड़का तो तेल पाइपलाइन बंद कर दी जाएगी. इसके जवाब में दक्षिण सूडान ने शुक्रवार को कहा कि पाइपलाइन बंद की गई तो वह तेल के बदले उधार लेकर अपनी अर्थव्यवस्था चलाएगा.

Flash-Galerie Sudan
तस्वीर: AP

नील नदी के पानी के बंटवारे को लेकर भी कई तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं. श्वेत नील दक्षिण से होकर उत्तर सूडान में प्रवेश करती है. उत्तर में नीली नील से मिलने के बाद नदी को नील कहा जाता है.

अन्य चुनौतियां

अत्यधिक पिछड़े दक्षिण सूडान में आधारभूत संरचना न के बराबर है. देश में प्रसव के दौरान मृत्यु की दर बहुत ज्यादा है. शिक्षा की हालत इतनी खराब है कि 13 साल तक की उम्र के ज्यादातर बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं. 84 फीसदी महिलाएं निरक्षर हैं.

सूडान के साथ कर्ज, तेल, सीमा और नागरिकता संबंधी विवाद अब भी बरकरार हैं. दक्षिण सूडान के भीतर फिलहाल कम से कम सात विद्रोही गुट सक्रिय हैं.

South Woods Herstellung von Booten in den Norden Flash-Galerie
तस्वीर: DW

इनके अलावा राजधानी जुबा के सामने प्रशासनिक चुनौतियों का भी अंबार लगा है. देश की मुद्रा तय करनी है. राजदूत नियुक्त करने हैं, विदेश नीति, पासपोर्ट, संविधान और लोकतंत्र जैसे कई अहम मुद्दों को जल्द से जल्द हल किया जाना है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

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