दलाई लामा आतंकवाद का साथ दे रहे हैं: चीन
१९ अक्टूबर २०११पिछले कुछ महीनों में एक महिला समेत कुल नौ भिक्षुओं ने तिब्बत में अपनी जान दे दी. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता चियांग यू ने कहा कि दलाई लामा खुद को कुरबान करने वाले लोगों को महिमा मंडित कर रहे हैं और लोगों को आत्महत्या के लिए उकसा रहे हैं.
चियान ने कहा, "विदेश में रह कर तिब्बत की आजादी के लिए मुहिम चलाने वाले और दलाई लामा ने इन मामलों की आलोचना नहीं की है. उल्टे वे इनका महिमा मंडन कर रहे हैं. इस तरह और भी लोग ऐसे कदम उठाने के लिए प्रेरित होते हैं. लोगों की जान की कीमत पर ऐसी विध्वंसक गतिविधियां हिंसा हैं."
चियान इन खबरों पर पूछे गए सवालों का जवाब दे रही थी कि निर्वासित तिब्बतियों के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने धर्मशाला में ऐसे लोगों के लिए उपवास और प्रार्थना की है. लंदन स्थित फ्री तिब्बत नाम के संगठन ने बताया कि सोमवार को 20 वर्षीय तेनजिम वांगमो ने आत्मदाह कर जान दे दी. हाल के महीने में जान देने का यह नौवां मामला है. दक्षिण पश्चिम सिछुआन प्रांत में मुख्यतः तिब्बती लोग धार्मिक आजादी और दलाई लामा की वापसी की मांग करते हैं.
"साहस को सलाम"
फ्री तिब्बत ने अपने बयान में कहा है कि आसपास के इलाके में भी प्रदर्शन हो रहे हैं और इनका दायरा बढ़ाने की बराबर अपील हो रही है. संगठन का कहना है कि पुलिस की गोलीबारी में दो लोग घायल भी हुए हैं. मंगलवार को चीनी विदेश मंत्रालय के अन्य प्रवक्ता ली वाईमिन ने कहा, "हम मानते हैं कि जीवन को होने वाले नुकसान को बढ़ावा देना अनैतिक है."
चीन सरकार का कहना है कि इस तरह खुद ही जान देने को वह "छिपा हुआ आतंकवाद" मानता है. लेकिन भारत के धर्मशाला में इन लोगों के लिए हुई प्रार्थना में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया. वहीं राजधानी दिल्ली में हजारों तिब्बतियों ने चीन के खिलाफ प्रदर्शन भी किए.
निर्वासित तिब्बतियों के प्रधानमंत्री लोबसाम सांग्ये ने तिब्बत में जान देने वाले नौ प्रदर्शनकारियों को श्रद्धांजलि दी और उन्हें साहसी बताया. उन्होंने कहा, "यह कार्यक्रम उन लोगों के साथ एकजुटता जताने के लिए किया गया है जिन्होंने तिब्बत की भलाई के लिए अपनी जान दी है, खास कर वे लोग, जो खुद को कुरबान कर रहे हैं. हम उनके साहस को सलाम करते हैं और उनके साथ खड़े हुए हैं."
निराश तिब्बती जनता
खुद अपनी जान देने के मामले तिब्बतियों में हाल तक बहुत ही कम देखने को मिलते थे और जानकार बताते हैं कि खुद दलाई लामा इसकी निंदा करते रहे हैं. वे इसे जीवन की पवित्रता के विचार के खिलाफ मानते हैं. तिब्बतियों की निर्वासित सरकार के प्रवक्ता थुबथेन सांफेल कहते हैं, "हम इन नाटकीय और निराशाजनक गतिविधियों को बढ़ावा नहीं देते हैं, लेकिन साथ ही हम यह समझते हैं कि इनके पीछे कौन सी भावना काम कर रही है."
नई दिल्ली के तिब्बती संस्कृति केंद्र में काम करने वाले क्येनराब नावा कहते हैं कि चीन में हो रही हिंसा तिब्बत की प्रस्तावित स्वायत्तता के लिए दलाई लामा के शांतिपूर्ण संघर्ष के खिलाफ है. वह कहते हैं, "हम उनके शांति और अहिंसा के रास्ते का अनुसरण करते हैं, लेकिन अब हमारे सामने कोई विकल्प नहीं बचा है." वह निर्वासन में रहने वाली तिब्बती आबादी के इस गुस्से को जाहिर करते हैं कि चीन के साथ बातचीत का अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है.
रिपोर्ट: एएफपी/पीटीआई/ए कुमार
संपादन: ओ सिंह