दवा विवाद पर भारत और ईयू अधिकारी मिले
२२ जुलाई २०१०पहले दौर की बातचीत में केवल जानकारियों का लेनदेन हुआ है. दो महीने बाद होने वाली बैठक में यूरोपीय संघ से शिकायतों के बारे में पूछा जाएगा जिनकी वजह से दवाइयों की खेप को ज़ब्त किया गया है. एक भारतीय अधिकारी ने कहा है, "अगली बैठक में हम शिकायतों के स्रोत का पता लगाने का प्रयास करेंगे जिसकी वजह से खेपें ज़ब्त हुईं."
भारत ने डब्ल्यूटीओ में यूरोपीय संघ की शिकायत की है. भारत का आरोप है कि अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के लिए भेजी गई दवाइयों की खेप को यूरोपीय संघ में शामिल कुछ देशों ने बीच रास्ते में ही ज़ब्त कर लिया. इन दवाइयों के पेटेंट अधिकार भी भारत के पास ही हैं.
डब्ल्यूटीओ के नियम के मुताबिक दोनों पक्षों को एक दूसरे के बारे में जानकारियां देने के लिए कहा गया है जिससे कि विवादों को हल किया जा सके. अगर दोनों पक्ष आपसी बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने में नाकाम रहते हैं तो मामले को डब्ल्यूटीओ की विवाद सुलझाने वाले समिति के पास भेजा जाएगा.
पिछले कुछ सालों में ऐसा कई बार हुआ जब किसी और देश को भेजी जा रही दवाइयों की खेप बीच रास्ते में यूरोपीय देशों ने जब्त कर ली. खासतौर से नीदरलैंड्स ने तो कई बार ऐसा किया. नीदरलैंड्स के अधिकारियों का कहना है कि ऐसा पेटेंट नियमों के उल्लंघन की वजह से किया गया. हालांकि भारत अभी भी अपने इस रुख पर कायम है कि दवाओं के पेटेंट अधिकार उसके पास हैं और किसी नियम को नहीं तोड़ा गया है. करीब 22 अरब अमेरिकी डॉलर के भारतीय दवा कारोबार में 45 फीसदी आय दवाओं के निर्यात से होती है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः महेश झा