दिल्ली, मुंबई को ढकेगा मिसाइल रक्षा कवच
२४ जून २०१२भारतीय रक्षा एंव अनुसंधान संस्थान (डीआरडीओ) के मुताबिक मिसाइल डिफेंस कवच को बहुत कम समय में दिल्ली और मुंबई में तैनात किया जा सकता है. डीआरडीओ ने इस संबंध में एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया है. प्रस्ताव सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति के पास जाएगा. वही इसे हरी झंडी देगी. दोनों शहरों में मिसाइल रक्षा कवच लगाने की रणनीतिक तैयारी शुरू की जा चुकी है. सूत्रों के मुताबिक शुरूआती तैयारियों के बाद पूरी योजना की विस्तृत रिपोर्ट कैबिनेट समिति को दी जाएगी.
योजना बनाते समय ही रडार लगाने की उपयुक्त जगह खोजी जाएगी. रडार हमलावर मिसाइल का पता लगाएंगे. रडार तुरंत मिसाइल डिफेंस सिस्टम को हमलावर मिसाइल की जानकारी देगा. फिर उस मिसाइल को हवा में नष्ट करने के लिए जवाबी हमला किया जाएगा. इस सिस्टम को लगाने के लिए डीआरडीओ के अधिकारियों को सुरक्षित और गोपनीय जगह चाहिए.
हवा से होने वाले हमले को टालने के लिए डीआरडीओ कई तरह की काउंटर अटैक मिसाइलें तैनात करेगा. ये मिसाइलें बाहरी मिसाइल को धरती के वातावरण के अलावा बाहरी वातावरण में भी नष्ट करने में सक्षम होंगी. बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम में इंसान का दखल कम से कम होगा. सिस्टम पूरी तरह ऑटोमैटिक होगा. इंसान के दखल से सिर्फ जवाबी हमले को रद्द किया जा सकेगा.
दिल्ली और मुंबई में सफलता से इसे लगाने के बाद भारत के अन्य शहरों को भी इससे सुरक्षा दी जाएगी. डीआरडीओ ने कई साल की रिसर्च के बाद यह सिस्टम बनाया है. यह सभी परीक्षणों में खरा उतरा है. कवच 2,000 किलोमीटर के इलाके में किसी भी मिसाइल खत्म कर सकता है.
डीआरडीओ के मुताबिक 2016 तक सिस्टम की रेंज बढ़ाकर 5,000 किलोमीटर कर दी जाएगी. इसके साथ ही भारत उन देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास यह तकनीक है. भारत के अलावा अमेरिका, रूस और इस्राएल के पास बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है.
सुलगता दक्षिण एशिया
भारत की पश्चिमी सीमा पाकिस्तान और उत्तरी सीमा चीन से लगती है. इन दोनों देशों के साथ भारत युद्ध लड़ चुका है. पाकिस्तान के साथ भारत की अब तक तीन बार जंग हो चुकी है. लेकिन अब दोनों देश परमाणु हथियारों से लैस हैं. ऐसे में लड़ाई की चिंगारी परमाणु युद्ध में बदल सकती है. 2008 के मुंबई हमलों के बाद एक बार तो लगने लगा था कि भारत और पाकिस्तान लड़ पड़ेंगे. बीते कुछ महीनों में भारत और पाकिस्तान ने कई मिसाइल परीक्षण किए हैं.
1962 में भारत का चीन के साथ युद्घ हो चुका है. चीन भी परमाणु हथियारों से लैस है. बीते एक दशक में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत वैश्विक सामरिक समीकरण बदल रही है. चीन की बढ़ती ताकत से एशिया में एक बार फिर हथियारों की होड़ तेज हो गई है. दरअसल पश्चिमी देशों को चीन की वास्तविक सैन्य शक्ति का बिल्कुल सही अंदाजा नहीं है.
युद्ध से परहेज करने वाला जापान जैसा देश भी अब सैन्य तैयारियों पर ध्यान देने लगा है. चीन का पड़ोसी ताइवान भी अमेरिका से नए हथियार लेकर अपनी सेना का आधुनिकीकरण करना चाहता है. भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच बीते एक साल में कई बार सामरिक रणनीति पर बातचीत हो चुकी है.
ओएसजे/एमजी (पीटीआई)