दिल्ली में जरदारी और मनमोहन की बातचीत
८ अप्रैल २०१२जरदारी सात साल बाद भारत के दौरे पर आने वाले पहले पाकिस्तानी राष्ट्रपति हैं. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पाकिस्तान जाने से यह कहकर बचते रहे हैं कि यदि कोई महत्वपूर्ण फैसला हो तो वे पाकिस्तान जाएं. और चूंकि महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति नहीं हो रही है, इसलिए भारत पाकिस्तान के नेताओं को बुला भी नहीं रहा है. इस तरह से जरदारी की तीर्थयात्रा राष्ट्रपति को भारत आने का अनौपचारिक मौका दे रही है. इससे पहले राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और जनरल जिया उल हक भी अजमेर शरीफ की तीर्थयात्रा कर चुके हैं.
जरदारी के भारत दौरे पर उनके सम्मान में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दोपहर के खाने का आयोजन किया है. पहले निजी समझे जा रहे इस दौरे ने लंच के निमंत्रण के बाद अब राजनीतिक महत्व ले लिया है. भोज के लिए खाने का मेन्यू तैयार है. जरदारी के लिए प्रधानमंत्री कश्मीर के गोश्तबा से लेकर तमिलनाडु का डोसा तक परोसेंगे. खाने के बाद राष्ट्रपति को बंगाल का संदेश और उत्तर प्रदेश की फिरनी भी मिलेगी. खाने के मेन्यू पर भले ही विवाद न हो, बातचीत के मेन्यू पर अटकलें चल रही हैं.
भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा है कि दोनों देशों के नेता आतंकवाद सहित बहुत से मुद्दों पर बातचीत करेंगे, लेकिन उनके पास विस्तार से बात करने का समय नहीं होगा. कार्यक्रकम के अनुसार लंच के बाद राष्ट्रपति जरदारी अजमेर के लिए रवाना हो जाएंगे. भारत 2008 के मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई न करने के कारण पाकिस्तान पर नाराज है. अमेरिका ने उनमें से एक लश्कर ए तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद पर 50 करोड़ रुपये का ईनाम घोषित किया है.
खुद आसिफ जरदारी ने कहा है कि उन्हें नहीं लगता कि मनमोहन सिंह के साथ उनकी बातचीत के केंद्र में सईद का मुद्दा होगा. उन्होंने कहा कि इस मसले पर उनका रुख उनकी सरकार के रुख से अलग नहीं है. उन्होंने कहा, मेरी यात्रा धार्मिक चरित्र की है, "मुझे नहीं लगता कि मनमोहन सिंह मुझे बैठाकर इस पर बात करेंगे." पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी संसद में बोल चुके हैं कि सईद का मामला पाकिस्तान का अंदरूनी मामला है.
इसके विपरीत भारतीय मंत्री फारूक अब्दुल्लाह ने कहा है कि प्रधानमंत्री साफ तौर आतंकवाद पर भारत की चिंता और मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा देने की जरूरत से राष्ट्रपति को अवगत कराएंगे. उन्होंने कहा कि लश्कर ए तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद सहित हमले की साजिश करने वाले सभी लोगों को सजा देना महत्वपूर्ण है. हमले में 166 लोग मारे गए थे.
राष्ट्रपति के साथ उनके बेटे और पीपल्स पार्टी के सह अध्यक्ष बिलावल भुट्टो और गृहमंत्री रहमान मलिक भी आ रहे हैं. कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को भी लंच पर बुलाया गया है. ताकि दोनों युवा नेताओं की मुलाकात हो सके.
अजमेर में राष्ट्रपति जरदारी के दौरे के लिए व्यापक सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं. दरगाह परिसर को दौरे से दो घंटे पहले आम लोगों के लिए बंद कर दिया जाएगा और दरगाह के निकट स्थित बाजार को भी दौरे के दौरान बंद रखा जाएगा. राष्ट्रपति सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिस्ती की दरगाह पर जाएंगे. दरगाह समिति और खादिमों की समिति के सदस्य मेहमानों का स्वागत करेंगे. राष्ट्रपति का प्रतिनिधिमंडल 35 मिनट तक वहां रहेगा. उसके बाद राष्ट्रपति का प्रतिनिधिमंडल सीधे पाकिस्तान वापस चला जाएगा.
रिपोर्ट: महेश झा (डीपीए, पीटीआई)
संपादन: ओ सिंह