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दोस्ती परखते भारत और रूस

२४ दिसम्बर २०१२

भारत और रूस के बीच कई अरब डॉलरों का रक्षा समझौता हुआ है. एक दिन के लिए भारत आए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय प्रधानमंत्री के साथ कई समझौतों पर दस्तखत किए, लेकिन दोस्ती में पुराना और पक्का रंग नहीं दिखा.

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पुतिन पहुंचे भारततस्वीर: Reuters

13वें भारत-रूस द्विपक्षीय सम्मेलन के लिए नई दिल्ली पहुंचे व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच काफी देर तक बातचीत हुई. सोमवार को भारत और रूस के बीच 10 समझौतों पर दस्तखत हुए. एक समझौते के तहत रूस भारत को 42 अत्याधुनिक सुखोई- 30एमकेआई लड़ाकू विमान देगा. विमान भारतीय लाइसेंस के मुताबिक बनाएं जाएंगे. भारतीय वायुसेना के पास अभी 150 सुखोई- 30एमकेआई हैं. 2019 तक भारत इनकी संख्या 272 करना चाहता है.

अन्य समझौते

रूस भारत को 71 एमआई- 17वी5 लड़ाकू हेलीकॉप्टर भी बेचेगा. विश्लेषकों के अनुसार ये सौदे करीब तीन अरब डॉलर के हैं. भारत की एल्कॉम सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड और रूस की वेरटोलेती रासी कंपनी साझा उपक्रम के तहत भारत में रूसी हेलीकॉप्टर बनाएंगी. भारत अगले 10 साल में अपनी सेना के आधुनिकीकरण पर 100 अरब डॉलर खर्च करने वाला है. अमेरिका, यूरोप और रूस चाहते हैं कि उन्हें भारत के बजट से ज्यादा से ज्यादा रकम मिले. भारतीय सेना के ज्यादातर उपकरण इस वक्त सोवियत संघ के जमाने के हैं.

समझौतों पर दस्तखत के बाद भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, "अपनी सेना के आधुनिकीकरण और रक्षा की तैयारियों को चौकस करने में रूस हमारा अहम साझेदार है." भारत अपनी जरूरत के 60-70 फीसदी रक्षा उपकरण रूस से खरीदता है. दोनों देशों के बीच कई संयुक्त उपक्रम भी चल रहे हैं. सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस भी नई दिल्ली और मॉस्को का साझा उपक्रम है. पुतिन के दिल्ली पहुंचने से एक दिन पहले दोनों देशों के लड़ाकू विमानों में तैनात की जा सकने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलें बनाने की संधि हुई.

Russland Indien Präsident Vladimir Putin besucht Indien
तस्वीर: Reuters

मनमोहन और पुतिन के बीच रक्षा के अलावा बाकी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया. ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा और अफगानिस्तान की स्थिति पर भी चर्चा हुई. रूस और भारत के इस आपसी व्यापार बढ़ता जा रहा है. 2009 में द्विपक्षीय व्यापार 7.5 अरब डॉलर था, जिसके इस साल 10 अरब डॉलर तक जाने की उम्मीद है.

सोमवार को रशिया फाउंडेशन फॉर डायरेक्ट इनवेस्टमेंट और भारतीय स्टेट बैंक के बीच भी आपसी समझौते के इरादे के घोषणा पत्र पर दस्तखत हुए. एमओयू के मुताबिक दोनों संस्थाएं, दोनों देशों में दो अरब डॉलर तक के सीधे निवेश को प्रोत्साहित करेंगी. विज्ञान, सूचना तकनीक, दवा उद्योग और सांस्कृतिक आदान प्रदान को भी बढा़वा देने पर समझौते हुए हैं.

परमाणु बिजली घर

बातचीत में मनमोहन सिंह ने तमिलनाडु के कुडनकुलम में रूस के सहयोग से बन रहे परमाणु ऊर्जा संयंत्र का मुद्दा उठाया. इसकी पहली दो यूनिटें करीब करीब तैयार हो चुकी हैं. तीसरी और चौथी यूनिट का मामला फंस गया है. भारत चाहता है कि यूनिटें परमाणु जिम्मेदारी कानून के तहत आएं. रूस का कहना है कि ऐसा होने पर प्लांट का खर्चा तयशुदा कीमत से ज्यादा हो जाएगा. बातचीत में क्या ठोस रास्ता निकला इसकी जानकारी नहीं दी गई. मनमोहन सिंह ने यही कहा, कि "कुडनकुलम में यूनिट तीन और चार के निर्माण को लेकर बातचीत में अच्छी प्रगति हुई है."

Kudankulam Kernkraftwerk
कुडनकुलम रिएक्टरतस्वीर: AP

मिशन काबुल

भारत ने अफगानिस्तान में भी भारी निवेश किया है. भारत वहां रेल नेटवर्क, स्कूल और अस्पताल बना रहा है. भारतीय कंपनियों को वहां खनिज निकालने के बड़े ठेके मिले हैं. लेकिन अफगानिस्तान में एक बार फिर कट्टरपंथी मजबूत होते जा रहे हैं. विदेशी सेनाएं अब धीरे धीरे अफगानिस्तान छोड़ रही हैं. 2014 के अंत तक अमेरिकी सेना भी वहां से निकल जाएगी. ऐसे में भारत को अपने निवेश को बचाए रखने की चिंता सता रही है. पुतिन से बातचीत के बाद भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा, "हमने अफगानिस्तान की ताजा स्थिति पर भी चर्चा की और हम इस बात पर सहमत है कि हम कट्टरपंथी तत्वों और ड्रग माफियाओं से पैदा होते खतरे पर साथ काम करेंगे."

फीकी पड़ती दोस्ती

भारत और रूस की दोस्ती बहुत पुरानी है. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जमाने से भारत सोवियत संघ का करीबी रहा है. 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद भी भारत और रूस के रिश्ते बढ़िया रहे. लेकिन बीते एक दशक में दोनों देशों को कुछ मतभेदों से भी गुजरना पड़ा है.

इसी साल भारत ने कई अन्य देशों से भी बड़े रक्षा सौदे किए. भारत ने फ्रांसीसी कंपनी दासो से 126 लड़ाकू विमान खरीदे और अमेरिकी कंपनी बोईंग से अपनी नौसेना के लिए विमान खरीदे हैं. यूरोप से उसने हवा में ईंधन भरने वाले जहाज खरीदे हैं. बीते एक दशक से भारत इस्राएल से भी बहुत ज्यादा रक्षा उपकरण खरीदने लगा है. भारत के पास विक्रेताओं का अब बड़ा विकल्प मौजूद है. रूस भी इस बात को जानता है. नई दिल्ली में तैनात रूस के राजदूत अलेक्जेंडर कादाकिन कहते हैं, "साफ है कि नई दिल्ली ने हथियार विक्रेताओं में विविधता लाने की राह तय कर दी है. प्रतिद्वंद्विता बढ़ चुकी है. रूस इसके लिए तैयार हैं."

विमानवाही युद्धपोत एडमिरल गोर्शकोव का सौदा नई दिल्ली को झल्ला रहा है. उम्मीद है कि चार साल की देरी और करीब ढाई गुनी ज्यादा कीमत पर यह पोत भारत को अक्टूबर 2013 में मिलेगा. इसके अलावा नई दिल्ली की यह भी शिकायत है कि रूस से रक्षा उपकरणों के पुर्जे समय पर नहीं मिल रहे हैं. बीते एक-दो साल से रूस के संबंध भारत के कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से भी बढ़ने लगे हैं. पुतिन की इस यात्रा में भले ही कई समझौते हुए हैं कि लेकिन वे उस उम्मीद से कम के हुए हैं, जिनकी आशा लेकर रूसी राष्ट्रपति नई दिल्ली आए थे.

रक्षा क्षेत्र के अलावा भारत और रूस के कारोबार को लेकर भी एक दूसरे से शिकायतें हैं. भारत की मांग है कि रूस को साइबेरिया में तेल निकाल रही भारतीय कंपनी कंपनी ओएनजीसी की शाखा से कम टैक्स लेना चाहिए. नई दिल्ली का तर्क है कि मौसमी दुश्वारियों के चलते ओएनजीसी को नाम मात्र का मुनाफा हो रहा है. वहीं रूसी कंपनी सिस्टेमा चेतावनी दे चुकी है कि अगर भारत ने उसका टेलीकॉम लाइसेंस रद्द किया तो इसका असर दोनों देशों के संबंधों में पड़ेगा.

ओएसजे/एमजी (पीटीआई, रॉयटर्स)

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