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धर्म परिवर्तन रोकने के लिए कानून बनाएगा पाक

१८ अगस्त २०१२

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सिंध सरकार को निर्देश दिया है कि वह अल्पसंख्यकों को जबरन धर्म बदलने को मजबूर किए जाने को रोकने के लिए संविधान में संशोधन करे. हिंदू और ईसाई समुदाय के लोग इसकी मांग कर रहे हैं.

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तस्वीर: AP

पिछले दिनों पाकिस्तान के हिंदुओं के भागकर भारत आने में भारत में शरण की मांग के मामले सामने आए हैं. भारत सरकार ने भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान सरकार से बात की है.

कराची में एक बैठक में जरदारी ने सिंध के मुख्यमंत्री कइन अली शाह को निर्देश दिया कि वह कानून मंत्री की अगुआई में एक समिति बनाएं जो संविधान में संशोधन के लिए बिल तैयार करे ताकि अल्पसंख्यकों के जबरन धर्मांतरण को रोक जा सके. पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार इस कमेटी में हिंदू पंचायत के नेताओं को भी शामिल करने की योजना है.

इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी की शिखर भेंट से वापस लौटे राष्ट्रपति जरदारी को उनकी सांसद बहन फरयाल तलपुर और मुख्यमंत्री ने हिंदुओं की चिंताओं के बारे में बताया. पाक मीडिया के अनुसार मुख्यमंत्री शाह ने कहा, हिंदुओं के बड़े पैमाने पर भारत पलायन की खबरें अटकल मात्र है, लेकिन हिंदू समुदाय के लोग जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने की मांग पर जोर दे रहे हैं. जरदारी ने तलपुर और शाह को हिंदू समुदाय के प्रतिनिधियों से मिलने जैकबाबाद जाने का निर्देश दिया है.

जबरन धर्मांतरण और फिरौती के लिए अपहरण की घटनाओं के कारण हिंदुओं के भारत पलायन की रिपोर्टों के बीच राष्ट्रपति ने मामले की जांच और सिंध प्रांत में हिंदू नेताओं से मिलने के लिए केंद्रीय मंत्री मौला बख्श चांदियो के नेतृत्व में तीन सांसदों की एक समिति बनाई थी. सिंध प्रांत के एक मंत्री का कहना है कि यदि लड़की या लड़की के मां बाप की सहमति के बिना धर्म परिवर्तन किया जाता है तो पुलिस संबंधित लोगों के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज करेगी.

Asif Ali Zardari Präsident Pakistans zu Besuch in Indien
राष्ट्रपति जरदारी का आदेशतस्वीर: dapd

लेकिन इस्लामी पाकिस्तान में अक्सर अल्पसंख्यकों को धर्म बदलने पर मजबूर करने के मामलों में पुलिस कार्रवाई नहीं करती. इस साल मार्च में सिंध की एक 19 वर्षीया लड़की का मामला सामने आया था जिसने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के सामने एक व्यक्त के खिलाफ अपहरण किए जाने का आरोप लगाया था और अपनी मां के पास जाने की अनुमति मांगी थी. लेकिन बाद में परिवार को धमकी दिए जाने और दाद पर गोली चलाए जाने के बाद वह अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट लौटी और बताया कि उसने इस्लाम कबूल कर लिया है. बाद में अपने अपहरणकर्ता के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस में उसने सिर्फ इतना कहा कि वह आज्ञाकारी बीबी बनना चाहती है.

पाकिस्तान में 35 लाख हिंदू आबादी का 90 फीसदी सिंध में रहता है. पुलिस के अनुसार वहां हर महीने औसत 25 लड़कियों के अपहरण के मामले सामने आते हैं. किशोर हिंदू लड़कियों की पहचान की जाती है, उनका अपहरण किया जाता है, बलात्कार किया जाता है और जबरन धर्म बदल दिया जाता है. सुरक्षा की चिंता, भेदभाव, फिरौती की धमकियों और हत्या और धारमिक दमन के कारण बाकी हिंदू पाकिस्तान छोड़कर भाग रहे हैं.

भारत इसे पाकिस्तान का अंदरूनी मामला मानता है. लेकिन पिछले महीनों में पाकिस्तान से भारत आने वाले हिंदू परिवारों की संख्या बढ़ी है और वे राजस्थान, पंजाब और गुजरात जैसे सीमाई प्रांतों में बस रहे हैं. 1947 में भारत के विभाजन के समय पाकिस्तान की हिंदू आबादी 15 फीसदी थी, लेकिन इस बीच सिर्फ 2 फीसदी रह गई है.

हिंदू परिषद ने सिंध हाई कोर्ट में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कानून बनाने की अपील की थी. इसे यह कहकर ठुकरा दिया गया कि अल्पसंख्यकों को संविधान की सुरक्षा है और उन्हें सुरक्षा देने के कानबून पहले से ही मौजूद हैं. जैकबाबाद के हिंदू पंचायत के बाबू महेश लाल कहते हैं, "यदि संविधान हमें सुरक्षा देता है तो फिर जब छोटी लड़कियों का अपहरण होता है तो सरकार हमें सुरक्षा क्यों नहीं देती. 12 साल की बच्ची की शादी अपहरण के बाद क्यों होती है?" वे यह भी पूछते हैं कि सिर्फ हिंदू लड़कियां इस्लाम क्यों कबूल कर रही हैं, लड़के क्यों नहीं कर रहे. उनका मानना है कि सारे मामले जबरन धर्मांतरण के हैं.

रिपोर्ट: महेश झा (पीटीआई)

संपादन: आभा मोंढे