नारंगी, हरा या कालाः क्रांति के अलग-अलग रंग
हांगकांग में प्रदर्शनकारियों ने काले कपड़े पहन विरोध जताया तो यूक्रेन में प्रदर्शन के दौरान नारंगी रंग का इस्तेमाल किया गया था. एक नजर उन रंगों पर जिनका इस्तेमाल विरोध दर्ज कराने के लिए विभिन्न आंदोलनों के समय किया गया.
हांगकांग में काले कपड़े में विरोध
कई संस्कृतियों में काले रंग का चुनाव शोक और दुःख व्यक्त करने के लिए होता है. हांगकांग में ज्यादा लोकतंत्रिक अधिकारों के लिए लड़ने के लिए सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों के विरोध जताने के लिए काले रंग का चुनाव किया है. वहीं शहर के मेयर जो कि बीजिंग के प्रति सहानुभूति जताते हैं, उनके साथ वाले लोगों ने प्रदर्शनकारियों से खुद को अलग करने के लिए सफेद रंग का चुनाव किया है.
हांगकांग की पीली छतरी क्रांति
हांगकांग में विरोध के दौरान हमेशा काले और सफेद रंग का इस्तेमाल नहीं किया गया है. 2014 में तथाकथित छतरी क्रांति (अमब्रेला रिवॉल्यूशन) के दौरान पीली छतरी को विरोध की निशानी के रूप में चुना गया था. उस समय प्रदर्शनकारियों ने अपने अर्द्ध-स्वायत्त शहर के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र चुनाव और अन्य लोकतांत्रिक सुधारों की मांग की थी. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के आंसू गैस से बचने के लिए इसका इस्तेमाल किया था.
यूक्रेन में नारंगी रंग का इस्तेमाल
वर्ष 2004 में यूक्रेन की "ऑरेंज क्रांति" के दौरान विपक्ष ने लाल रंग की जगह नारंगी रंग का इस्तेमाल किया था. यूक्रेन में पड़ रही कड़ाके की ठंड के बावजूद 17 दिनों तक विभिन्न सामाजिक वर्गों के लोग विपक्षी उम्मीदवार विक्टर यूसेंको के समर्थन में आंदोलनरत रहे थे.
म्यांमार में केसरिया क्रांति
म्यांमार में वर्ष 2007 में हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को केसरिया रंग से जाना गया. आम तौर पर यह बौद्ध भिक्षुओं के वस्त्र का रंग भी है. सैन्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे बौद्ध भिक्षु थे. उनके साथ छात्र, राजनीतिक कार्यकर्ता और भारी संख्या में महिलाएं भी थीं.
फिलीपींस की पीली क्रांति
राष्ट्रपति फर्डिनांड मार्कोस और उनके शासन के खिलाफ 1983 से 1986 तक तीन साल के प्रदर्शनों के बाद फिलीपींस के नागरिकों ने जीत हासिल की. यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण था. इसे आमतौर पर पीली क्रांति (येलो रिवॉल्यूशन) के नाम से जाना जाता है क्योंकि प्रदर्शनकारियों के रिबन का रंग पीला था. यह तस्वीर वर्ष 2013 की है, जब क्रांति के 13वीं सालगिरह पर पीले रिबन उड़ा इसका जश्न मनाया गया.
ईरान का हरा रंग
हरे रंग को इस्लाम का रंग माना जाता है. वर्ष 2009-10 में ईरान में चुनाव के समय सरकार के खिलाफ विरोध जताने वाले प्रदर्शनकारियों ने हरे रंग का इस्तेमाल किया. प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर चुनाव परिणामों में धांधली का आरोप लगाया था. इस विरोध-प्रदर्शन के दौरान कई लोग घायल हुए थे और लगभग 4000 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. आज भी इस प्रदर्शन को ग्रीन मूवमेंट के नाम से जाना जाता है.
मैसिडोनिया की रंगीन क्रांति
वर्ष 2016 में एक वायरटैपिंग घोटाले की जांच को बंद करने के सरकार के फैसले के खिलाफ मैसिडोनिया के लोग अप्रैल के मध्य में देश की राजधानी स्कोप्जे में इकट्ठा हुए थे. इस दौरान कई ने सरकारी इमारतों पर रंगीन पेंट फेंका. यह कलाकार जैक्सन पोलक की प्रसिद्ध स्पैलटर मास्टरपीस का समान था.
पुर्तगाल में कार्नेशन क्रांति
सिर्फ रंग ही नहीं बल्कि आधुनिक इतिहास में फूल भी विरोध का प्रतीक बने हैं. 25 अप्रैल, 1974 को पुर्तगाल में तख्तापलट के बाद विजयी सेनानियों की बंदूकों में लाल कार्नेशन्स लगाकर जश्न मनाया गया. इस तख्तापलट ने वर्षों की तानाशाही को समाप्त कर दिया था. यह पुर्तगाल में लोकतंत्र के एक नए युग की शुरुआत थी, जिसके बाद स्पेन और ग्रीस में इसी तरह के काम हुए.
मोल्डोवा की अंगूर क्रांति
मोल्डोवा में 2009 में संसदीय चुनाव परिणामों के विरोध के लिए हुए आंदोलन को ग्रेप्स रिवॉल्यूशन (अंगूर क्रांति) नाम दिया गया. चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी की जीत के बाद प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए थे. अंगूर क्रांति नाम कथित तौर पर देश के कई अंगूर के बागों का संदर्भ देते हुए रखा गया. हालांकि यह क्रांति सोवियत संघ से जुड़े अन्य देशों तक नहीं पहुंची.
ट्यूनीशिया की जैस्मिन क्रांति
वर्ष 2011 में 28 दिनों तक ट्यूनीशिया की सड़कों पर भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और गरीबी को लेकर प्रदर्शन किया गया. दिलचस्प ये है कि वेस्टर्न मीडिया में यह 'जैस्मिन रिवॉल्यूशन' के नाम के जाना गया लेकिन ट्यूनीशिया लोग इसे 'गरिमा क्रांति (डिग्निटी रिवॉल्यूशन)' कहते हैं. राष्ट्रपति की कुर्सी पर काबिज बेन अली के 1987 में निष्कासन को भी "जैस्मिन क्रांति" नाम दिया गया था.
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