नेपाल में शांति समझौते पर सहमति
२ नवम्बर २०११माओवादी प्रमुख पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने मंगलवार को अन्य पार्टी प्रमुखों के साथ इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. समझौते के अनुसार जिन पूर्व माओवादियों को सेना में जगह नहीं मिल सकेगी उन्हें पुनर्वास के लिए राशि दी जाएगी. नेपाल की शांति प्रक्रिया में यह एक बड़ा कदम है. पिछले पांच सालों से इस बात पर बहस चल रही थी कि पूर्व माओवादियों को किस तरह से समाज में दोबारा मिलाया जाए. सेना और मुख्य राजनैतिक पार्टियां माओवादी छापामारों को सुरक्षाबलों में मिलाने के खिलाफ रही हैं.
समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 'प्रचंड' ने पत्रकारों से कहा, "हमने शांति प्रक्रिया में एक और पड़ाव पार कर लिया है. अब हमारे आगे सब से बड़ी चुनौती इसे लागू करने की है."
हालांकि उन्हें किसी तरह की लड़ाई में नहीं भेजा जाएगा. उन्हें निर्माण कार्य, जंगलों में पहरा देने और बचाव कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. बाकी बचे पूर्व माओवादी छापामारों को मुफ्त शिक्षा और व्यावसायिक ट्रेनिंग दी जाएगी. साथ ही उन्हें नया जीवन शुरू करने के लिए साढ़े पांच लाख रुपये की मदद भी दी जाएगी.
फैसले का स्वागत
अमेरिका ने इस फैसले का स्वागत किया है. अमेरिकी दूतावास द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया, "हम सभी राजनैतिक पार्टियों द्वारा शांति प्रक्रिया को आगे ले जाने वाले आज के इस ऐतिहासिक समझौते का स्वागत करते हैं, जिसमें पूर्व माओवादी छापामारों को समाज में मिलाने और उनका पुनर्वास करने की बात की जा रही है. इस समझौते को जल्द से जल्द लागू करने में जो लोग लगे हैं, हमें उन्हें प्रोत्साहित करते हैं और इसमें जितनी सहायता हम दे सकते हैं वह देने का वादा करते हैं."
2006 में गृह युद्ध के खत्म होने के बाद से अधिकतर माओवादी संयुक्त राष्ट्र के शिविरों में रह रहे थे. नेपाल के गृह युद्ध में 16,000 से अधिक लोगों की जान गई. माओवादी अब नेपाल में राजनीति का अहम हिस्सा हैं. इस साल अगस्त में नेपाल की संसद ने एक माओवादी नेता को देश के प्रधानमंत्री के रूप में चुना. उसके बाद सितम्बर में माओवादियों ने तीन हजार से अधिक हथियार एक खास कमेटी के हवाले किए.
रिपोर्ट: रॉयटर्स/ईशा भाटिया
संपादन: आभा एम