'नेम्तसोव यूक्रेन में रूस के हस्तक्षेप के एक मुखर आलोचक थे'
२ मार्च २०१५रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचक के रूप में प्रसिद्ध 55 वर्षीय बोरिस नेम्तसोव देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री रह चुके थे. 1 मार्च को मॉस्को में विपक्ष की एक बड़ी रैली निकालने की घोषणा कर चुके नेम्तसोव की 28 फरवरी को गोली मार कर हत्या कर दी गई. डीडब्ल्यू ने रूस विशेषज्ञ यूरी बारमिन से नेम्तसोव के महत्व पर बात की.
डीडब्ल्यू: नेम्तसोव की हत्या से इतनी खलबली क्यों मची है?
यूरी बारमिन: नेम्तसोव पुतिन और पूर्वी यूक्रेन के संकट में रूस की कथित दखलअंदाजी की स्पष्ट रूप से आलोचना करते थे. हत्या से खलबली इसलिए मची है क्योंकि वह उन आयोजकों में से थे जो 1 मार्च को मॉस्को में विरोध रैली निकालने वाले थे. इसीलिए विपक्ष को लगता है कि इन दोनों घटनाओं के बीच में संबंध है.
नेम्तसोव कौन थे? इतने सालों बाद वे फिर इतने अहम कैसे बन गए?
नेम्तसोव का राजनीतिक करियर बहुत शानदार रहा. 1990 के दशक में उन्होंने राष्ट्रपति येल्तसिन के दूत के रूप में रूस के नित्जनी नोवगोरोड में काम किया. बाद में वह इसी प्रांत के गवर्नर बने और इसके बाद केन्द्र सरकार में उप प्रधानमंत्री का पद संभाला. इस तरह रूस के सबसे उदारवादी सालों में वह एक महत्वपूर्ण राजनैतिक हस्ती थे. उन्होंने चेचन्या की पहली लड़ाई के दौरान रूसी सेना को वहां से हटाने की जम कर वकालत की थी.
पुतिन के शासन में भी नेम्तसोव ने रूसी संसद में उदारवादी विपक्ष का प्रतिनिधित्व किया. हाल ही में नेम्तसोव ने रूस में व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में रिपोर्टें और लेख प्रकाशित करना शुरु किया था.
क्या नेम्तसोव पुतिन के लिए खतरा बन गए थे?
मुझे नहीं लगता कि वे पुतिन के लिए खतरा थे. कम से कम उनके बारे में ऐसा माना तो नहीं जाता था. वह जाहिर तौर पर रूसी विपक्ष के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे, लेकिन राजनैतिक रूप से पुतिन के लिए कोई खतरा नहीं थे. नेम्तसोव की मित्र और उदारवादी नेता इल्या याशिन का दावा है कि वह यूक्रेन में रूसी दखल पर एक रिपोर्ट छापने वाले थे और कथित तौर पर इसी से रोकने के लिए उनकी हत्या हुई है.
पुतिन के प्रवक्ता ने नेम्तसोव की हत्या को एक "उकसावा" क्यों कहा और इसका विपक्ष की प्रस्तावित रैली से क्या संबंध है?
1 मार्च को प्रस्तावित इस रैली को आर्थिक संकट विरोधी प्रदर्शन बताया जा रहा था. कई अफवाहें हैं कि कि कुछ आयोजक इसे एक राजनैतिक रैली बनाना चाहते थे, जिससे देश में राजनैतिक बदलावों की मांग उठाई जा सके. इस तरह विपक्ष के भीतर इन दोनों तरह के गुटों के बीच दुश्मनी चल रही थी, जो लोगों को दो अलग तरह के मुद्दों पर विरोध जताते हुए देखना चाहते थे. कुछ क्रेमलिन समर्थक ब्लॉगरों ने इस बात के संकेत दिए कि नेम्तसोव की हत्या 1 मार्च की रैली के स्वर को बदलने के लिए हुई है. इसलिए हो सकता है कि पुतिन के प्रवक्ता का मतलब यह हो कि यह हत्या रैली के खिलाफ एक उकसावा हो. जाहिर है, क्रेमलिन तो यह चाहेगा ही कि इस हत्या के साथ सरकार के जुड़ें होने से संबंधित सभी अफवाहें नकार दी जाएं.
क्या इसके पहले भी किसी विपक्षी नेता को इस तरह मारा गया है?
मुझे याद आ रहा है व्लाद लिस्तीव का मामला, जो एक जाने माने रूसी पत्रकार और चैनल 1 के मुखिया थे. 20 साल पहले 1 मार्च 1995 में उनकी हत्या हुई थी. वह कोई विपक्षी नेता तो नहीं थे लेकिन एक प्रभावशाली व्यक्ति जरूर थे.
क्या नेम्तसोव के माफिया समूहों के साथ जुड़ें होने के कोई संकेत मिले हैं?
मुझे ऐसे किसी संकेत के बार में नहीं पता. जाहिर है कि किसी भी दूसरे नेता की ही तरह नेम्तसोव के भी कई राजनीतिक शत्रु होंगे जो माफिया के साथ उनका नाम जोड़कर उनकी साख को खराब करने की कोशिश करेंगे. लेकिन मुझे लगता है कि यह कोरी अफवाहे हैं.
यूरी बारमिन अबू धाबी में रूसी मामलों पर लिखने वाले राजनीतिक विश्लेषक हैं.
इंटरव्यू: मानसी गोपालाकृष्णन/आरआर