नैनों में बस गई नैनो
१० जनवरी २००८साल 2008 के ऑटो एक्सपो के पहले ही दिन टाटा मोटर्स ने धूम मचा दिया। कंपनी प्रमुख रतन टाटा ख़ुद लाख रुपये की इस छोटी लेकिन ख़ूबसूरत कार में बैठ कर आए। दुनिया की सबसे सस्ती कार दुनिया की नज़रों के सामने आई।
सबसे सस्ती कार
टाटा नैनो की सबसे बड़ी ख़ूबी इसकी क़ीमत है। डीलर प्राइस है सिर्फ़ एक लाख रुपये। हालांकि सड़कों पर आते आते इसमें टैक्स और वैट लगने के बाद क़ीमत क़रीब 1,30,000 रुपये तक बैठेगी। वैसे इसका लुक भी बड़ा शानदार है। किसी विदेशी कार की तरह। दिखने में ये दूसरी छोटी कारों से कमज़ोर नहीं दिखती। छोटी कारों के बाज़ार में ये सीधे मारुति 800 को टक्कर देगी, जो भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली कार है।
कार बाज़ार में क्रांति
छोटी सी इस कार ने कार बाज़ार में बड़ी क्रांति लाई है। टाटा नैनो में चार आदमी बड़े आराम से बैठ सकते हैं। और इसकी लंबाई मारुति सेगमेंट की छोटी कारों से मामूली कम है। कार का इंजन आगे की बजाय पीछे और सामान रखने की जगह कम है। स्टैंडर्ड और एसी मॉडलों के साथ टाटा नैनो का डीलक्स मॉडल भी बाज़ार में उतारा जाएगा। फ़िलहाल ये तीन रंगों में है।
सस्ती और किफ़ायती
टाटा का दावा है कि नैनो कार 90 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से फ़र्राटा भर सकती है और एक लीटर में 20 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है। यानी सस्ती होने के साथ ही किफ़ायती भी होगी टाटा नैनो। रतन टाटा का दावा है कि नैनो प्रदूषण के लिहाज़ से भी बहुत अच्छी है और आम दोपहिया वाहनों से भी कम प्रदूषण फैलाएगी।
सच हुआ सपना
क़रीब दस साल पहले 1997 में रतन टाटा ने आम आदमी के लिए एक लाख रुपये की कार लाने की योजना रखी थी, लेकिन जानकारों ने इसे ख़ारिज कर दिया था। उनका मानना था कि इतने कम पैसों में कार बनाना संभव ही नहीं है। लेकिन 10 साल बाद टाटा मोटर्स ने इस सपने को सच कर दिखाया और इस दौरान महंगाई दर भी बेतहाशा बढ़ी है।