पहले भाषण में जर्मन राष्ट्रपति को याद आए गांधी
२४ मार्च २०१२पिछले हफ्ते के रविवार जब गाउक को राष्ट्रपति चुना गया तो जर्मन जनता में राहत की एक लहर सी दौड़ी. हर पार्टी के नेता नए राष्ट्रपति से खुश हैं और क्रिस्टियान वुल्फ के जाने के बाद कुछ स्थिरता की उम्मीद कर रहे हैं. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी सीडीयू ने शुरुआत में गाउक की उम्मीदवारी को सहयोग देने से मना तो किया, लेकिन बाकी पार्टियों के साथ उन्हीं पर सहमति बनी.
मैर्केल का कहना है कि गाउक का राष्ट्रपति बनना खास तौर से जनता के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि वह जनता के हित पर ध्यान देंगे. साथ ही, सारी पार्टियों के नेता भी उनका सम्मान करते हैं. मैर्केल का मानना है कि गाउक के साथ अगर किसी मुद्दे को लेकर वह एकमत नहीं हो पाती हैं, तो उनके बीच हुआ बहस भी जर्मनी में लोकतंत्र को बढ़ावा देगा.
गाउक एकीकरण से पहले पूर्वी जर्मनी रहे हिस्से के पहले ऐसे शख्स हैं जो जर्मनी के राष्ट्रपति बने हैं. लोगों को संबोधित करते हुए गाउक ने कहा कि वह उनकी की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे, लेकिन लोगों को समझना होगा कि वह जैसे हैं, वैसे हैं और उनमें भी कुछ कमियां हैं. उन्होंने लोगों से कहा, "महात्मा गांधी के शब्दों में, एक व्यक्ति प्रगति तभी कर सकता है जब उसमें आत्मविश्वास हो और यह बात एक व्यक्ति और एक देश पर लागू होती है. इसलिए मैं चाहता हूं कि आप अपने आत्मविश्वास को बढ़ाएं." गाउक का कहना था कि पूर्वी जर्मनी के साम्यवादी शासन में उन्होंने देखा कि डर किस तरह लोगों के आत्मविश्वास को पूरी तरह खत्म कर सकता है. जर्मनी के उत्तरी शहर रोश्टॉक में पैदा हुए गाउक कई वर्षों तक पादरी के तौर पर काम करते रहे. 1989 में जर्मन एकीकरण के बाद उन्होंने पूर्वी जर्मनी की खुफिया पुलिस श्टासी के दस्तावेजों पर काम किया जिससे उस वक्त राजनीतिक कैदियों पर हुए अत्याचारों के बारे में बहुत जानकारी हासिल हो सकी है.
गाउक से पहले क्रिस्टियान वुल्फ जर्मन राष्ट्रपति थे लेकिन 20 महीने बाद ही मीडिया को धमकी देने और अपने व्यवसायी दोस्तों से मदद लेने के आरोपों की वजह से उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.
2010 में उस वक्त के राष्ट्रपति होर्स्ट कोएलर के पद छोड़ने के बाद से ही सोशल डेमोक्रैट्स और ग्रीन पार्टी गाउक का समर्थन कर रहे थे. उनका कहना था कि गाउक किसी भी पार्टी के नहीं हैं और शायद इस वजह से उनके साथ का काम करना मुश्किल हो, क्योंकि वे सरकार की हर बात का समर्थन नहीं करेंगे. लेकिन राष्ट्रपति के तौर पर वह ईमानदार और सच्चे हैं. जर्मनी में अल्पसंख्यकों और यहूदी गुटों ने भी गाउक के राष्ट्रपति चुने जाने पर खुशी जताई है. उन्हें उम्मीद है कि नए राष्ट्रपति देश में दक्षिणपंथी ताकतों को काबू में रखने में मदद कर सकेंगे.
रिपोर्टः बेटिना मार्क्स, डीपीए, पीटीआई/एमजी
संपादनः एन रंजन