पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के खिलाफ आरोप तय
१३ फ़रवरी २०१२सोमवार को भारी सुरक्षा इंतजामों और आकाश में चक्कर लगाते हेलीकॉप्टर के बीच प्रधामंत्री गिलानी के मामले की सुनवाई शुरू हुई. थोड़ी ही देर बाद 59 वर्षीय गिलानी पर आरोप तय करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 27 फरवरी तक टाल दी.
गिलानी को सात जजों की बेंच ने आरोप तय किए. कटघरे में खड़े प्रधानमंत्री के सामने आरोप पत्र पढ़ा गया. फिर उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को बारीकी से समझा है. जवाब में गिलानी ने कहा, "हां, मैंने चार्जशीट पढ़ी है और इसे समझा है."
गिलानी पर आरोप है कि उन्होंने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में अदालत के आदेश की अवमानना की. गिलानी ने कोर्ट के आदेश के बावजूद जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए स्विस अधिकारियों से आग्रह नहीं किया.
सर्वोच्च अदालत ने जनवरी में गिलानी को कोर्ट की अवमानना का नोटिस भेजा. नोटिस के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के संविधान के तहत राष्ट्रपति के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. तर्क दिया कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति को देश और विदेश में किसी भी तरह की कार्रवाई से प्रति विशेषाधिकार मिला हुआ है.
अगर गिलानी दोषी करार दिए गए तो उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है. प्रधानमंत्री गिलानी न्यूज चैनल अल जजीरा से कह चुके हैं कि दोषी साबित होने पर वह इस्तीफा दे देंगे. लेकिन अब दूसरी तरह के संकेत भी मिल रहे हैं.
कानून विशेषज्ञ कह रहे हैं कि गिलानी को छह महीने तक की सजा हो सकती है और उन्हें पद के लिए अयोग्य भी ठहराया जा सकता है. इस बीच ऐसे भी संकेत मिल रहे हैं कि गिलानी कोर्ट के फैसले के बावजूद पद पर बने रहेंगे. कुछ रिपोर्टों के मुताबिक राष्ट्रपति जरदारी गिलानी को सुप्रीम कोर्ट के संभावित दंड से माफ कर सकते हैं.
रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह
संपादन: आभा एम