पाकिस्तान की छवि बदलता एक "नन्हा प्रोफेसर"
७ जून २०१८पाकिस्तान में यूनिवर्सिटी स्तर के तमाम छात्र तस्वीर में नजर आ रहे इस 11 साल के बच्चे के पास अकसर आते हैं. आने का मकसद उसे कुछ सिखाना, डराना या लड़ाई-झगड़ा करना नहीं होता बल्कि अंग्रेजी पढ़ना, अंग्रेजी बोलना सीखना होता है. दरअसल 11 साल का हामिद सफी यूनविर्सिटी स्तर के छात्रों को यूट्यूब पर बराक ओबामा सहित कई राजनेताओं के भाषण दिखा कर अच्छी अंग्रेजी बोलने का गुर सिखाता है.
इंटरनेट पर सफी किसी सनसनी से कम नहीं. यहां लोग सफी की ओर आसानी से आकर्षित हो जाते हैं. कारण न सिर्फ ऊर्जा से लैस उसके शब्द हैं बल्कि 11 साल की इसकी उम्र भी है. जो बड़े-बड़ों के लिए एक मिसाल है.
आत्मविश्वास से लैस
माइक्रोफोन पर बोलते हुए सफी के उत्साह और आत्मविश्वास को उसके थिरकते हाथ, समझाइश से भरे शब्द बयां करते हैं. सफी पेशावर की यूनिवर्सिटी ऑफ स्पोकन इंग्लिश (यूएसईसीएस) में अपने से अधिक उम्र के लोगों को अंग्रेजी सिखाते हैं. इस इंटरनेट स्टार के यूट्यूब पर तकरीबन 1.45 हजार सब्सक्राइबर्स हैं. इसके कुछ वीडियो को तो लाखों बार इंटरनेट पर देखा गया है. अपने एक वीडियो में सफी लोगों में उत्साह भरते हुए कहते हैं, "हर पल एक चुनौती है. असफलता, भविष्य की सफलता की नींव है."
सफी के इन बातों का सबसे अधिक असर पड़ा है बिलाल खान जैसे स्टूडेंट्स पर. बिलाल खान, राजनीतिक विज्ञान का एक स्टूडेंट हैं. आजकल यह नियमित रूप से सफी के भाषण को सुनता है. बिलाल कहता है कि इस बच्चे में जादू हैं. उसने उस पर अलग ही असर डाला है. बिलाल ने कहा, "कुछ महीने पहले तक मैं अपनी जिंदगी में काफी मायूस था. आत्महत्या जैसे ख्याल भी मेरे दिमाग में बार-बार दस्तक दे रहे थे. क्योंकि मेरे पास न तो नौकरी थी और न ही जिंदगी में सफलता का कोई और रास्ता दिख रहा था. वही वक्त था जब मैंने पहली बार सफी के वीडियो को देखा. ख्याल आया कि जब यह 11 साल का लड़का कुछ कर सकता है तो मैं क्यों नहीं."
पाकिस्तान का नन्हा प्रोफेसर
सफी के अंग्रेजी शिक्षक समीउल्लाह वकील कहते हैं, "लोग उसे प्यार करते हैं क्योंकि वह अच्छा बोलता है. वह हमेशा हिट रहा है." सफी को पाकिस्तान की सकारात्मक छवि पेश करने वाले एक इंसान के रूप में भी देखा जाने लगा है. ऐसा व्यक्ति जिसकी बात लोग गौर से सुनते हैं.
यूएसईसीएस की अन्य फैक्ल्टी सफी को "नन्हा प्रोफेसर" कहती हैं. एक छोटा टीचर, जो भविष्य में एक दिन बड़ा काम करेगा. पहले सफी एक पारंपरिक स्कूल में पढ़ता था, स्कूल के बाद यूएसईसीएस में अंग्रेजी की क्लास लेता था.
यूएसईसीएस के डायरेक्टर उमर सुहैल बताते हैं कि जल्द ही इंस्टीट्यूट ने सफी के टैलेंट और आत्मविश्वास को पहचान लिया. फिर कुछ समय बाद सफी ने स्कूल छोड़ दिया और यूएसईसीएस में फुल-टाइम पढ़ने लगा. उसने अपनी अंग्रेजी की पढ़ाई जारी रखी और मोटिवेशनल करियर की ओर भी कदम बढ़ा दिया. यूनिवर्सिटी में सफी को हर हफ्ते सुनने के लिए कामकाजी, नौकरीपेशा छात्र पहुंचते हैं. लेकिन इंटरनेट पर भी इसका फैनबेस कुछ कम नहीं है.
सबको हैं उम्मीदें
सुहैल कहते हैं कि सफी का काम गरीब छात्रों का उत्साह बढ़ाना है, उन्हें भविष्य की अच्छी उम्मीदें देना है ताकि वह अपने आसपास की कठिन परिस्थितियों से निकल कर शिक्षा की अहमियत को समझ सकें. संयुक्त राष्ट्र के डाटा मुताबिक, पाकिस्तान के शिक्षा क्षेत्र में काफी असमानताएं हैं. साथ ही देश की बड़ी आबादी साक्षरता से कोसो दूर है. सुहैल कहते हैं कि हम दुनियाभर में शिक्षा को लेकर जागरुकता फैलाना चाहते हैं.
सफी के पिता अब्दुल रहमान खान पेशावर के एक कारोबारी हैं. वह कहते हैं, "सफी एक साधारण बच्चा नहीं है. लोगों को उसमें कुछ अलग नजर आता है. मुझे भी उसमें कुछ खास दिखा और मैंने उसके लिए स्पेशल टीचर को नियुक्त कर दिया. मैं उसे एक खास लीडर के तौर पर देखना चाहता हूं." रहमान खान को अपने बच्चे की इस काबिलियत पर काफी गर्व महसूस होता है. वहीं सफी कहता है, "मैं एक प्रेरणा हूं, न सिर्फ पाकिस्तान के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए. मैं पूरे दुनिया को प्रेरित करता हूं"
अभी लंबी है राह
सफी के प्रोफेसर्स कहते हैं कि वह एक बार में 10-12 घंटे तक पढ़ता है. उसके कमरे में न तो किसी कॉर्टून हीरो की तस्वीर है और न किसी स्पोर्रट्समैन की. चंद खिलौने कमरे में नजर आ जाते है. लेकिन सफी का आलोचनात्मक विश्लेषण करने भी कुछ सवाल उठाते हैं. पेशावर यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर बख्त जमन अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहते हैं, "उसमें बच्चा कहां है. उसके व्यक्तित्व में से एक आम बच्चा अब खत्म हो गया है. वह एक टैलेंटेड बच्चा है लेकिन उसके व्याख्यानों में गहराई की कमी है."
यूनिवर्सिटी ऑफ लाहौर के उपकुलपति अमीर शाह उम्मीद जाहिर करते हुए कहते हैं कि सफी को मिल रही ये लोकप्रियता कही उसे अपने रास्ते से न भटका दे. उन्होंने कहा, "सफी को अभी बहुत आगे जाना है, बहुत किताबें पढ़ना है. अभी उस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी. उसकी सफलता का आकलन हम 20 साल बाद ही कर सकेंगे, जब वह एक वयस्क हो जाएगा."
एए/ओएसजे (एएफपी)