पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद में जगह मिलने की उम्मीद
२० अक्टूबर २०११इन चुनावों में दो साल की अवधि के लिए अस्थायी सदस्य चुने जाएंगे जो 1 जनवरी 2012 से 31 दिसंबर 2013 तक होगी. ये चुनाव क्षेत्रीय मतदान के आधार पर होगा. पाकिस्तान और किर्गिस्तान प्रशांत एशिया समूह की एक सीट के लिए मैदान में हैं.
भारत इसी साल सुरक्षा परिषद में शामिल हुआ और वह 2012 के अंत तक इसका हिस्सा रहेगा. भारत और पाकिस्तान ने 1947 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद मुख्यतः कश्मीर को लेकर तीन युद्ध लड़े हैं. पिछली बार दोनों देश 1977 में सुरक्षा परिषद का एक साथ हिस्सा थे. संयुक्त राष्ट्र में राजनयिकों का कहना है कि अगर पाकिस्तान सुरक्षा परिषद में आता है तो दोनों देशों के बीच कोई क्षेत्रीय तनाव नहीं पैदा होगा. बुधवार को एक वरिष्ठ पश्चिमी राजनयिक ने कहा कि दोनों देशों के राजदूत 'बहुत अच्छे दोस्त' हैं और बहुत से मुद्दों पर उनका रुख लगभग एक जैसा ही है.
कैसी होगी सुरक्षा परिषद
पाकिस्तान 1947 से संयुक्त राष्ट्र का सदस्य है और वह छह बार सुरक्षा परिषद में रह चुका है. वहीं 1992 में सुयंक्त राष्ट्र का हिस्सा बनने वाला किर्गिस्तान अभी तक एक बार भी सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए नहीं चुना गया है. मानवाधिकारों के मुद्दों पर इन दोनों देशों की आलोचना की जाती है. किर्गिस्तान पिछले साल गृह युद्ध का भी शिकार रहा.
सुरक्षा परिषद में पांच वीटो शक्ति से लैस स्थायी सदस्य हैं: अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन. वहीं अस्थायी सदस्यों की संख्या 10 है जिनके पास वीटो शक्ति नहीं है. संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को इन 10 अस्थायी सीटों के लिए चुना जाता है.
राजनयिकों का कहना है कि शुक्रवार को होने वाले चुनाव के बाद ही साफ होगा कि अगले साल सुरक्षा परिषद किस तरह दिखेगी. संभव है कि सुरक्षा परिषद में आने वाला पाकिस्तान जैसा सदस्य रूस और चीन के खेमे का हिस्सा बने जो सीरिया और ईरान जैसे देशों पर नए अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिबंध लगाने का विरोध कर रहे हैं.
इस साल ब्रिक्स देशों के सभी पांच सदस्य ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का हिस्सा हैं. लेकिन जनवरी में ब्राजील, गैबॉन, नाइजीरिया, लेबनान और बोस्निया के साथ सुरक्षा परिषद से हट जाएगा.
चुनावी तिकड़म
विभिन्न क्षेत्रों के लिए सुरक्षा परिषद में प्रतिनिधित्व निश्चित है और आम तौर पर 193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में तय होता है कि कौन नया सदस्य सुरक्षा परिषद में आने जा रहा है. लेकिन इस बार लैटिन अमेरिकी और कैरेबियन क्षेत्र को छोड़ कर सभी क्षेत्रों के लिए चुनाव होंगे. सिर्फ गुआटेमाला का सुरक्षा परिषद में आना पक्का है.
सबसे कड़ा मुकाबला पूर्वी यूरोप में दिख रहा है जहां इकलौती सीट के लिए अजरबैजान को यूरोपीय संघ के सदस्यों हंगरी और स्लोवेनिया से मुकाबला करना है. वहीं अफ्रीकी इलाके से अरब लीग के सदस्यों मॉरिटानिया और मोरक्को को दो सीटों के लिए टोगो से मुकाबला करना है. टोगो को सीट पक्की मिलनी चाहिए लेकिन चूंकि मतदान गोपनीय होता है तो दोनों अरब देश भी जीत सकते हैं.
नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक पश्चिमी राजनयिक ने बताया, "गोपनीय मतदान होने की वजह से देश झूठ भी बोल सकते हैं कि उन्होंने किसको अपना वोट दिया है. यह संभव है कि जिन देशों ने टोगो को समर्थन का वादा किया है, वे दोनों अरब देशों को अपना वोट दे दें."
आम तौर पर सुरक्षा परिषद में एक समय में एक ही अरब देश होता है. अभी अरब सीट लेबनान के पास है और उसका कार्यकाल जनवरी में खत्म होगा. जो पांच अस्थायी सदस्य 2012 में पूरे समय सुरक्षा परिषद के सदस्य रहेंगे उनमें भारत, कोलंबिया, जर्मनी, पुर्तगाल और दक्षिण अफ्रीका हैं.
रिपोर्ट: रॉयटर्स/ए कुमार
संपादन: ओ सिंह