पाकिस्तान तालिबान पर यूएन के प्रतिबंध
३० जुलाई २०११15 सदस्यों वाली परिषद ने चेचेन्या के इस्लामिक संगठन एमरात कावकाज को भी प्रतिबंधित सूची में शामिल किया है. इस संगठन को रूस का मोस्ट वॉन्टेड व्यक्ति डोकू उमारोव चलाता है.
तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान को प्रतिबंधित सूची में डालने का कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है जब सुरक्षा परिषद अफगानिस्तान के तालिबान को शांति प्रक्रिया का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रही है. पाकिस्तान तालिबान पर कई आतंकी हमलों के इल्जाम हैं जिनमें सैकड़ों लोगों की मौत हुई है. इसके अलावा पिछले साल न्यूयॉर्क में टाइम्स स्क्वेयर पर बम धमाका करने की कोशिश से भी उसे जोड़ा जाता है.
क्या है पाकिस्तान तालिबान
यह संगठन पाकिस्तान के कबायली इलाके में 2007 में सामने आया. यह इलाका अफगानिस्तान की सीमा से लगता है जहां पाकिस्तान की सेना अल कायदा से जुड़े उग्रवादियों से लड़ रही है. पाकिस्तान तालिबान सरकार को उखाड़ फेंकना चाहता है. सेना और राजनीतिक हस्तियां उसके निशाने पर रही हैं. लेकिन मई 2010 में इस संगठन का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गया जब उसने मई में टाइम्स स्क्वेयर पर हमले की कोशिश की जिम्मेदारी ली. उससे पहले अप्रैल 2010 में पेशावर में अमेरिकी कॉन्स्युलेट पर हमला करके यह संगठन छह लोगों का कत्ल कर चुका था.
कई खूनी हमलों की जिम्मेदारी
तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान का नेता हकीमुल्लाह महसूद पिछले साल अक्तूबर से ही संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में रहा है. इसकी वजह अफगान तालिबान और अल कायदा से उसके संबंध हैं.
महसूद के संगठन ने अक्तूबर 2009 में इस्लामाबाद में विश्व खाद्य परियोजना के मुख्यालय पर हमले की जिम्मेदारी भी ली थी. पिछले साल जुलाई में पाकिस्तान के कबायली इलाके में मोहमंद शहर में राहत सामग्री का इंतजार कर रहे लोगों पर हमला करके उसने 50 जानें ले ली थीं.
पाकिस्तान तालिबान के कुछ और बड़े हमलों में दिसंबर 2010 में मोहमंद में हुआ एक आत्मघाती हमला भी शामिल है जिसमें 40 लोग मारे गए थे. इसके अलावा इसी साल फरवरी में मरदान में सेना के कंपाउंड पर हमला करके 31 लोगों की हत्या कर दी गई.
मई में पाकिस्तान तालिबान के आतंकवादियों ने कराची के नौसेना बेस पर हमला करके 10 सुरक्षा अधिकारियों को मार डाला था. शुक्रवार को ही संगठन ने कहा कि स्विट्जरलैंड के एक दंपती महीने भर से उनकी कैद में हैं.
आंतकी सूची में नाम का मतलब
संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के राजदूत मार्क लाएल ग्रांट ने कहा कि आतंकी सूची में पाकिस्तान तालिबान को शामिल करके अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एकजुटता का मजबूत संदेश भेजा गया है.
पिछले महीने ही सुरक्षा परिषद ने अफगान तालिबान को सूची से हटाने का फैसला किया था ताकि उसे अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया में शामिल किया जा सके. ग्रांट ने कहा, "हमने अभी बहुत सोच समझ कर चुनाव किया है क्योंकि हम अफगानिस्तान में मेल मिलाप की प्रक्रिया का समर्थन करना चाहते हैं. लेकिन अफगान तालिबान को यह संदेश सुनना होगा. खिड़की हमेशा तो खुली नहीं रहेगी. अगर तालिबान राजनीतिक प्रक्रिया के खिलाफ काम करता रहेगा और नागरिकों पर हमले जारी रखेगा तब हम तालिबान नेताओं की सूची पर ध्यान देंगे."
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन