पाकिस्तान में बाढ़ की त्रासदी को टालना संभव था
१ फ़रवरी २०११पाकिस्तान में पिछले साल मॉनसून की कहर बरपाती बारिश से जुलाई और अगस्त में हजारों लोगों की मौत हो गई और करीब दो करोड़ लोगों विस्थापित हो गए. एक अनुमान के मुताबिक इस आपदा में 17 लाख घर तबाह हो गए और 54 लाख एकड़ कृषि योग्य भूमि खराब हो गई. अब विशेषज्ञ कह रह हैं कि सदी की भयानक त्रासदी को टाला जा सकता था.
अमेरिका में जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में मौसम विज्ञान के प्रोफेसर पीटर वेबस्टर ने बताया, "इस तबाही के असर को कम किया जा सकता था और बाढ़ से होने वाली जान माल की हानि भी कम की जा सकती थी. अगर हम पाकिस्तान को समय रहते बता देते तो उन्हें 8-10 दिन पहले ही पता लग जाता कि बाढ़ आने वाली है."
यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम रेंज वैदर फॉरकास्टिंग के डेटा का अध्ययन कर प्रोफेसर वेबस्टर और उनके साथी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि बाढ़ से हुई त्रासदी को कम किया जा सकता था. प्रोफेसर वेबस्टर का यह अध्ययन एक जर्नल में प्रकाशित होने जा रहा है.
लेकिन यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम रेंज वैदर फॉरकास्टिंग ने अपना बचाव किया है और कहा है कि वह मौसम संबंधी चेतावनियों को आम लोगों या मीडिया के लिए जारी नहीं करता. लंदन की इस संस्था से 33 देश जुड़े हैं.
सेंटर में वैज्ञानिक एलन घेली ने कहा, "हमारा विभाग मौसम से जुड़ी जानकारी को उन देशों को उपलब्ध कराता है जो हमारे साझेदार हैं और फिर आम जनता तक जानकारी पहुंचाना या सलाह देना उनकी जिम्मेदारी बन जाती है."
माना जा रहा है कि पाकिस्तानी जनता तक बाढ़ की जानकारी इसलिए नहीं पहुंची क्योंकि फॉरकास्टिंग सेंटर और पाकिस्तान में सहयोग संबंधी समझौता नहीं है. प्रोफेसर वेबस्टर की टीम के रिसर्च पेपर में साफ तौर पर लिखा है कि छह दिन पहले ही भयानक बाढ़ की चेतावनी जारी हो सकती थी.
इस जानकारी का इस्तेमाल पाकिस्तान में बाढ़ से निपटने के लिए पहले से कदम उठाकर किया जा सकता था. विशेषज्ञों के मुताबिक पाकिस्तान सरकार और विभिन्न संस्थाओं को त्रासदी से निपटने के लिए पहले से तैयार होने का समय मिल जाता जिससे जान माल की हानि को कम किया जाना संभव होता. पाकिस्तान का मौसम विभाग समय रहते बाढ़ की चेतावनी जारी नहीं कर पाया जिससे हालात विकट हो गए.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: महेश झा