पाक सेनाधिकारियों की जानकारी में बिकी परमाणु तकनीक: रिपोर्ट
७ जुलाई २०११अमेरिकी दैनिक वॉशिंगटन पोस्ट ने अब्दुल कदीर खान के हवाले से लिखा है कि अपने परमाणु कार्यक्रम के बारे में संवेदनशील सूचना सौंपे जाने की अनुमति मिलने से पहले उन्होंने उत्तर कोरिया से मिले 30 लाख डॉलर पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों को दिए.
खान ने एक चिट्ठी भी जारी की है, जिसके बारे में उनका कहना है कि यह चिट्ठी उन्हें उत्तर कोरियाई अधिकारियों से मिली जिसमें इस समझौते की विस्तृत जानकारी है. वॉशिंगटन पोस्ट लेख में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि यह चिट्ठी शायद प्रामाणिक है.
पहले इस्लामी बम के जनक समझे जाने वाले कदीर खान के खिलाफ उत्तर कोरिया, ईरान और लीबिया को परमाणु जानकारियां बेचने के आरोपों की जांच चल रही है, लेकिन बहुत से अधिकारियों काफी समय से कहते रहे हैं कि उन्होंने परमाणु सौदा अकेले किया और व्यक्तिगत लाभ कमाया. यदि खान द्वारा जारी चिट्ठी सच्ची है तो वह इस बात का नया सबूत है कि इसमें पाकिस्तान के कई उच्चाधिकारी भी शामिल थे.
उत्तर कोरिया की श्रमिक पार्टी के तत्कालीन सचिव बियोंग हो द्वारा हस्ताक्षरित दस्तावेज में 15 जुलाई 1998 की तारीख है. अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें उन घटनाओं के बारे में जानकारी है जिनके बारे में बहुत कम लोगों को पता था.
इस चिट्ठी में जिन अधिकारियों के नाम हैं, उन्होंने उसे जाली बताया है और घुसखोरी के आरोपों से इंकार किया है. परमाणु विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान द्वारा भेजे गए सेंट्रीफ्यूज और टेक्निकल ड्रॉइंग्स की मदद से उत्तर कोरिया यूरेनियम संवर्धन कारखाना बनाया, जिसे उसने नवम्बर में कुछ अमेरिकी विशेषज्ञों को दिखाया था.
वॉशिगटन पोस्ट का कहना है कि उसे यह चिट्ठी ब्रिटेन के भूतपूर्व पत्रकार साइमन हेंडरसन से मिली है, जिन्होंने खान के बारे में व्यापक रूप से लिखा है लेकिन कहा है कि उनके पास चिट्ठी की विश्वसनीयता जांचने के साधन नहीं थे.
कदीर खान को 2004 में गिरफ्तार कर लिया गया था जिसके बाद उन्होंने टेलिविजन के सामने परमाणु तकनीक बेचने वाला गिरोह चलाने की बात स्वीकार की थी. तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने उन्हें माफी दे दी थी. इस बीच उन्हें छोड़ दिया गया है लेकिन उन पर अभी भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: आभा एम