पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखे ब्रिटेनः पोप
१६ सितम्बर २०१०पोप ने अपनी चार दिवसीय यात्रा की शुरुआत ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के साथ मुलाकात से की. इस दौरान पोप ने ब्रिटेन से धर्मनिरपेक्षता के मद्देनजर उदारवादी रवैए के बीच अपने परंपरागत धार्मिक मूल्यों को हर हाल में बरकरार रखने की पुरजोर अपील की. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन आधुनिक और बहुलतावादी समाज की शक्ल अख्तियार करने की प्रक्रिया से गुजर रहा है लेकिन ऐसे में अपने सांस्कृतिक एवं पारंपरिक मूल्यों को भी बरकरार रखा जा सकता है.
समलैंगिकता और अन्य मुद्दों पर एंगलिकन तथा कैथोलिक चर्च के बीच विवाद के बारे में पोप ने कहा कि चर्च का मकसद अपना आकर्षण बढ़ाने की कोशिश में समय के साथ खुद को बदलना नहीं है बल्कि धर्म के मूल सिद्धांतों के साथ अडिग रहना है.
कैथोलिक ईसाइयों के धर्मगुरू पोप बेनेडिक्ट सोलहवें की यात्रा से ठीक पहले उनके करीबी सलाहकार कार्डिनल वाल्टर कास्पर ने एक बयान दे दिया कि ब्रिटेन तीसरी दुनिया के देश जैसा है और 'आक्रामक नास्तिकता' से ग्रस्त है. इससे विवाद की स्थित बन गई. कार्डिनल वाल्टर कास्पर पोप के साथ ब्रिटेन की यात्रा पर नहीं गए हैं. कार्डिनल वाल्टर कास्पर के बयान से ब्रिटेन में रोष और रोमन कैथोलिक चर्च में बच्चों के यौन उत्पीडन मामले को लेकर पहले से चल रहे विवाद के बीच पोप की यात्रा महतवपूर्ण मानी जा रही है.
इससे पहले पोप का स्वागत करते हुए महारानी एलिजाबेथ ने कहा कि ब्रिटेन में एंगलिकन और कैथोलिक समुदाय ईसाई धर्म की साझा विरासत के साथ रहते हैं. कार्डिनल कास्पर की टिप्पणी का कोई जिक्र किए बिना उन्होंने कहा कि दोनों समुदायों की समान आस्थाएं हैं. आपसी विवादों के चलते धर्म कभी भी आक्रामकता को जायज नहीं ठहराता है बल्कि बातचीत के जरिए इन्हें सुलझाने की राह दिखाता है.
इस बीच पोप ने कैथोलिक चर्च में दशकों से मासूम बच्चों के यौन शोषण की भी निंदा की. पोप ने कहा कि दुनिया भर के कैथोलिक गिरजाघरों में चल रहे इस पाप की जानकारी से वह स्तब्ध रह गए. उन्होंने कहा, "मेरे लिए पादरियों के इस नैतिक पतन का कारण समझ पाना मुश्किल हो रहा है. इससे भी बड़े दुख की बात यह है कि चर्च के अधिकारी इस पर पूरी नजर नही रख पाए और न ही समय से कोई कारगर फैसला कर सके."
इस बीच पोप ने नाज़ियों के साथ संघर्ष में ब्रिटेन की भूमिका की सराहना भी की. महारानी एलिजाबेथ के स्वागत भाषण के जवाब में पोप ने कहा "हमें उस दौर को याद रखना होगा कि कैसे ब्रिटेन ने समाज से ईश्वर की सत्ता को उखाड़ फेंकने के नापाक इरादों वाले नाज़ियों को धराशाई किया था."
अपनी पहली ब्रिटेन यात्रा के विरोध के बारे में पोप ने कहा कि उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है. उन्होंने कहा "मुझे विश्वास है कि सत्कार और सहनशीलता की ब्रिटिश परंपरा प्रदर्शनकारियों पर भारी पड़ेगी."
रिपोर्टः एजेंसियां/निर्मल
संपादनः ए कुमार