पुलिसवाले पर झपटते कसब का वीडियो अदालत में
२९ सितम्बर २०१०कसब 26/11 के आतंकवादी हमलों में शामिल था और निचली अदालत ने उसे मौत की सजा सुना दी है. बॉम्बे हाई कोर्ट में इसी मुद्दे पर सुनवाई चल रही है. मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकवादी हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे.
सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने हाई कोर्ट में सीसीटीवी की वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाई, जिसमें पाकिस्तानी नागरिक कसब झपटता हुआ दिख रहा है. उन्होंने बताया कि एक सितंबर को कसब कोई गैरकानूनी काम करने पर आमादा था और सुरक्षाकर्मियों को उसे रोकना पड़ा. इसी दौरान झड़प हुई. अदालत बुधवार को इस मसले पर फैसला सुना सकती है.
निकम ने कहा, "कसब एक प्रशिक्षित कमांडो है और एक ही झटके में वह अपने या किसी और के जान के लिए खतरा बन सकता है. वह वहां तैनात गार्डों के लिए भी खतरा साबित हो सकता है." उन्होंने कहा कि कसब के वकील को उससे अकेले में न मिलने दिया जाए.
दूसरी तरफ कसब के वकील अमीन सोलकर का कहना है कि कसब के पास जो सवाल भेजे जाते हैं, वह सार्वजनिक तरीके से उनका जवाब देने में हिचकता है. ऐसे में वकील को अकेले में उससे मिलने दिया जाए, जिस वक्त जेल के गार्ड वहां मौजूद न हों.
निकम ने बताया कि एक सितंबर की घटना के बाद कसब की निगरानी बढ़ा दी गई है और चौबीसों घंटे उसकी हरकतों पर सीसीटीवी से नजर रखी जाती है. उन्होंने बताया कि एक गार्ड हर वक्त चार फीट की दूरी से उस पर नजर रखे होता है. सरकारी वकील ने कहा कि सुनवाई के दौरान भी कसब अपनी और जेल गार्डों की जान पर खतरा बन चुका है.
कसब के वकील सोलकर का कहना है कि वकील और मुवक्किल के बीच संवाद जरूरी है और इसे नहीं रोका जा सकता है. लेकिन निकम का कहना है कि सबूत पेश करने का वक्त पूरा हो चुका है और इस वक्त संवाद की ऐसी कोई जरूरत नहीं.
जेलर राजेंद्र धमाने हलफनामा देकर कह चुके हैं कि कसब एक प्रशिक्षित कमांडो है और जेल के अंदर अचानक तेजी से हरकत करता है. वह कई हथियारों को चलाने में माहिर है. उनका कहना है कि वकील से पूछताछ के दौरान सुरक्षाकर्मियों का उसके पास रहना जरूरी है.
धमाने का कहना है कि आम तौर पर दोषी करार कैदी के पास एक सुरक्षाकर्मी तैनात होता है. लेकिन इस मामले की गंभीरता को देखते हुए चौबीसों घंटे गार्ड उसके आस पास रहते हैं और उसकी हरकतों की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है.
20 सितंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट ने कसब के वकील से कहा था कि वह उससे निजी तौर पर जेल में मिलें और इस बात को पूछें कि क्या मौत की सजा की पुष्टि खुद आकर सुनना चाहता है.
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः एस गौड़