फर्जी शादी के लिए अनिवासी भारतीयों का नया अड्डा
१८ जुलाई २०१०भारत सरकार की ओर से जारी नई रिपोर्ट में सामने आया है कि अनिवासी भारतीयों के लिए ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड फर्जी शादियों और भारी दहेज लेकर शादी करने के नए हॉट स्पॉट्स बन रहे हैं. ओवरसीज मामलों के मंत्री वायलार रवि ने कहा कि वे इस समस्या से चिंतित हैं और इसे रोकने के लिए जल्दी कदम उठाएंगे ताकि लड़कियां इस जाल में न फंसें.
रवि ने कहा कि पहले कदम के तौर पर सरकार पंजाब में लोगों को जागरुक करने के लिए अभियान चलाएगी, क्योंकि यहीं से सबसे ज़्यादा लड़कियां इस परेशानी में फंसी हैं. पीटीआई समाचार एजेंसी से बात करते हुए रवि ने कहा, "ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड इस मुसीबत का ठिकाना बन रहे हैं." आप्रवासी मामलों के मंत्री ने चिंता जाहिर की और बताया कि जब उनका वीजा खत्म हो जाता है तो उन्हें दहेज लाने के लिए कहा जाता है. चूंकि उनके पास वीजा ही नहीं होता इसलिए उन्हें भारत लौटने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
"न्यूजीलैंड में लड़कियों की शादी के लिए न्यूनतम सीमा 16 साल है. तो आप उस लड़की के बारे में सोचिए जिसे ये सब झेलना पड़ता है. हम एक जागरूकता अभियान शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं ताकि लोगों को इस समस्या के बारे में जानकारी दी जा सके. मैं पंजाब के मुख्यमंत्री को भी लिखने वाला हूं ताकि वे इस मुद्दे पर ज़रूरी कार्रवाई करें और सुनिश्चित करें की हमारी लड़कियों को कोई उत्पीड़न न झेलना पड़े."
ये पूछने पर कि क्या सरकार दोषी लोगों को कटघरे में खड़ा कर सकती है या फिर उन पर कार्रवाई करने के लिए न्यूजीलैंड के अधिकारियों को कह सकती हैं. इसके जवाब में मंत्रालय के अधिकारियों का कहना था कि दोषियों को सजा दिला पाना मुश्किल है क्योंकि न्यूजीलैंड में दहेज लेना कोई अपराध नहीं है.
न्यूजीलैंड में भारतीय मूल के एक लाख से ज्यादा लोग रहते हैं जो कि पूरी जनसंख्या का 2.6 प्रतिशत है, जबकि ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों की संख्या ढाई लाख है. ओवरसीज मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि विफल एनआरआई शादियों के मामले सुलझाने के लिए उन्होंने पहले ही एक विभाग खोल दिया है.
एनआरआई शादियों में इस तरह की मुश्किल को देखते हुए और विफल एनआरआई शादियों की बढ़ती संख्या के कारण राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस साल के शुरुआत में ही कहा था कि बच्चों, प्रॉपर्टी में हिस्सा और लड़की की देखभाल के लिए ठोस कानून बनाया जाना चाहिए. आयोग ने विदेश मंत्रालय से मांग की थी कि वह इन देशों में भारतीय दूतावासों को निर्देश दें कि वे स्थानीय कार्यालयों को दहेज के बारे में बताएं.
रिपोर्टः पीटीआई/आभा एम
संपादनः एस गौड़