फलीस्तीन की यूएन में सदस्यता रोकने में जुटा अमेरिका
४ सितम्बर २०११ओबामा प्रशासन ने इस्राएल के साथ शांति वार्ता शुरू करने और फलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास को संयुक्त राष्ट्र की सालाना आम सभा में राज्य की मान्यता हासिल करने की कोशिश छोड़ने पर मनाने के लिए एक अभियान शुरू किया है. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ओबामा प्रशासन ने महमूद अब्बास से कहा है कि अमेरिका सुरक्षा परिषद की बैठक में फलीस्तीनी राष्ट्र को नया सदस्य बनाने के प्रस्ताव पर वीटो करेगा.
हालांकि कहा जा रहा है कि आम सभा में फलीस्तीन की 'वोट न देने वाले सदस्य' के रूप में पदोन्नति को रोकने के लिए अमेरिका के पास जरूरी समर्थन नहीं है. फिलहाल फलीस्तीन संयुक्त राष्ट्र में वोट न देने वाले पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद है. अगर उसकी पदोन्नति हो जाती है तो उसे संयुक्त राष्ट्र के कई संगठनों में प्रवेश का अधिकार मिल जाएगा साथ ही वह अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत में इस्राएल के खिलाफ मुकदमा भी चला सकेगा.
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों और विदेशी राजनयिकों ने कहा है कि अमेरिका वीटो के साथ ही आम सभा में वोटिंग की कार्रवाई से बचना चाहता है क्योंकि ऐसी स्थिति में अमेरिका के साथ बस कुछ ही देश होंगे जो फलीस्तीनियों के राष्ट्र बनने का विरोध कर रहे हैं. इतना ही नहीं अमेरिका की ये कोशिश अरब जगत में एक भारी गुस्से का सबब बनेगी जो पहले से ही अस्थिरता और विद्रोह के हंगामों से गूंज रहा है.
इस्राएल के साथ शांतिवार्ता फिलहाल रूकी हुई है. ऐसे में फलीस्तीनियों ने संयुक्त राष्ट्र से एक देश के रूप में पूर्ण सदस्यता मांगी है. इस देश में गजा पट्टी, पश्चिमी तट है और राजधानी के रूप में पूर्व येरुशलम. संयुक्त राष्ट्र की सालाना आम सभा 20 सितंबर से शुरू होगी. इस्राएल ने फलीस्तीन की सदस्यता पाने की कोशिश का पुरजोर विरोध किया है. उधर अमेरिका की दलील है कि फलीस्तीन, इस्राएल के साथ सीधे शांतवार्ता के जरिए ही असल मायने में राष्ट्र बन सकेगा.
यूरोपीय संघ भी इस्राएल और फलीस्तीन के बीच शांतिवार्ता को शुरू करवाने की कोशिश में जुट गया है. फलीस्तीन की तरफ से राष्ट्र का दर्जा हासिल करने की मांग ने दोनों देशों के बीच की खाई और चौड़ी कर दी है. अमेरिकी अखबार के मुताबिक ओबामा के कुछ अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि वोटिंग को टालने के लिए बीच का कोई रास्ता निकल आएगा. इसके तहत वोटिंग होने की स्थिती में उसके नतीजों को हल्का करने की कोशिश भी हो रही है. इनमें इस्राएल और फलीस्तीन के बीच पश्चिमी तट और इस्राएली सीमाओं पर सुरक्षा के लिए सहयोग स्थापित करना भी शामिल है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः ओ सिंह