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फलीस्तीन को यूनेस्को की सदस्यता मिली

३१ अक्टूबर २०११

फलीस्तीन को संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक और शैक्षिक संस्था यूनेस्को में एक पूर्ण सदस्य के तौर पर शामिल कर लिया गया है. फलीस्तीन को अलग देश के तौर पर संयुक्त राष्ट्र की मान्यता का विरोध करने वाले अमेरिका ने नाराजगी जताई.

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यूनेस्को में हुआ मतदानतस्वीर: dapd

अमेरिकी सासंदों ने धमकी दी थी कि अगर यूनेस्को फलीस्तीन को अलग राष्ट्र के तौर पर अपना सदस्य बनाता है तो उसे अमेरिका की तरफ से दी जाने वाली 8 करोड़ डॉलर की सालाना मदद रोकी जा सकती है. यूनेस्को की कुल राशि का 22 प्रतिशत अमेरिका मुहैया कराता है.

जब संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) में 14 के मुकाबले 107 वोटों से फलीस्तीन को सदस्य बनाने की घोषणा हुई तो फलीस्तीनियों की खुशी का ठिकाना नहीं था. 52 सदस्य देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. 173 सदस्यों वाले यूनेस्को में मंजूरी के लिए 81 वोटों की दरकार थी.

Demonstrationen im Westjordanland Flash-Galerie
तस्वीर: picture-alliance/dpa

एक प्रतिनिधिमंडल के सदस्य ने वोटिंग का नतीजा आते ही फ्रेंच भाषा में नारा बुलंद किया, "फलीस्तीन जिंदाबाद." यह मतदान सांकेतिक रूप से बहुत अहम है क्योंकि फलीस्तीनी राष्ट्र की सीमाओं, सुरक्षा परेशानियों और अन्य विवादों के चलते दशकों से मध्य पूर्व में शांति की राह मुश्किलों से घिरी है.

अमेरिका और इस्राएल नाराज

फलीस्तीनी अधिकारी संयुक्त राष्ट्र से अलग देश के तौर पर मान्यता हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अमेरिका का कहना है कि जब तक इस्राएल और फलीस्तीन के बीच शांति समझौता नहीं हो जाता, वह संयुक्त राष्ट्र में फलीस्तीन की मान्यता के मामले पर वीटो इस्तेमाल करेगा. इसीलिए फलीस्तीनी अलग से पैरिस स्थित यूनेस्को और अन्य संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं की पूर्ण सदस्यता लेने की कोशिश में है.

यूनेस्को में सोमवार को हुआ मतदान बहुत अहम है. जब फलीस्तीन यूनेस्को स्थापना घोषणापत्र पर हस्ताक्षर कर देगा तो उसकी सदस्यता अमल में आ जाएगी.

यूनेस्को में अमेरिकी राजदूत डेविड किलियोन ने कहा कि सोमवार को हुआ मतदान "जटिल" है. अमेरिका ने इसके विरोध में मतदान किया. वहीं यूनेस्को में इस्राएल के राजदूत निमरोड बारकन ने मतदान को त्रासदी बताया. उनके मुताबिक, "यूनेस्को का संबंध साइंस से है न कि साइंस फिक्शन से. उसने यूं ही यूनेस्को पर एक राजनैतिक विषय थोप दिया है. उसकी वजह से संगठन को कोष में बड़ी कटौती का सामना करना होगा."

पिछले हफ्ते अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने यूनेस्को में फलीस्तीनी मुद्दे पर चल रही गतिविधियों को "अस्पष्ट" कहा. उनके मुताबिक अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में फलीस्तीन की सदस्यता पर चल रही चर्चा अलग देश हासिल करने के लिए इस्राएल के साथ होने वाली बातचीत की जगह नहीं ले सकती है.

Leerer Stuhl Palästinas in UN Hauptquartier Deutschland lehnt UN Inititative ab Flash-Galerie
तस्वीर: picture alliance/dpa

फलीस्तीनी खुश

उधर फलीस्तीनियों ने यूनेस्को की सदस्यता मिलने पर खुशी जताई है. फलीस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) की एक वरिष्ठ अधिकारी हनान अशरावी ने कहा कि यूनेस्को में फलीस्तीन को अलग देश के तौर पर स्वीकारा जाना एक अहम जीत है. उनके मुताबिक, "देशों ने सिद्धांतों के आधार पर वोट दिया. मुझे लगता है कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे साफ संदेश जाता है कि दुनिया में इस बात को लेकर अच्छा खासा बहुमत है कि फलीस्तीनी लोगों का दमन नहीं होना चाहिए और उन्हें राष्ट्रों के समुदाय से बाहर नहीं रखा जा सकता."

अशरावी के मुताबिक अमेरिका समेत जिन चंद देशों ने मतदान में फलीस्तीन के विरोध में वोट दिया वे अलग थलग पड़ जाएंगे क्योंकि वे इंसाफ के साथ नहीं खड़े हैं.

रिपोर्ट: डीपीए, एपी/ए कुमार

संपादन: महेश झा

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