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फ़ुटबॉल में दाग़ लगा गए ऑनरी

अनवर जे अशरफ़ (संपादनःएस जोशी)१९ नवम्बर २००९

फ़ुटबॉल की तरफ़ एक हाथ 23 साल पहले उठा था और एक अब उठा है. इन दोनों हाथों ने दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल की तरफ़ लाखों लोगों की अंगुली उठवा दी. वह हाथ मैराडोना का था, यह हाथ फ्रांसीसी सितारे थिऑरी ऑनरी का है.

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तस्वीर: AP

ऑनरी ने आयरलैंड के ख़िलाफ़ वर्ल्ड कप क्वालीफ़ाइंग मुक़ाबले में जो कुछ किया, उससे फ़ुटबॉल शर्मसार हो गया. गोल लाइन से बाहर जाती गेंद को ऑनरी ने हाथ से पकड़ कर ग्राउंड के अंदर कर दिया और फिर उनके पास से साथी खिलाड़ी ने गोल कर दिया. कैमरे में यह हरकत साफ़ साफ़ क़ैद हो गई लेकिन रेफ़री और लाइन्समैन की नज़र में नहीं आ पाई. ऑनरी जैसे खिलाड़ी से किसी को ऐसी उम्मीद भी नहीं थी, इसलिए गोल मान लिया गया. इस एक अदद गोल ने फ्रांस को 2010 के वर्ल्ड कप में पहुंचा दिया और आयरलैंड को बाहर कर दिया.

थियॉरी ऑनरी बार्सिलोना के स्ट्राइकर और फ्रांसीसी फ़ुटबॉल टीम के कप्तान हैं. ज़िनेदिन ज़िदान के बाद फ्रांस के सबसे ज़्यादा चर्चित और लोकप्रिय फ़ुटबॉलर. शांत स्वभाव के लेकिन फुर्तीले खिलाड़ी ऑनरी 11 साल से फ्रांस की टीम में खेल रहे हैं और मौजूदा दौर के सबसे बड़े और सबसे महंगे फ़ुटबॉल सितारों में एक हैं. लेकिन ऑनरी की इस हरकत ने उनके नाम के आगे एक बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है.

Frankreich Thierry Henry Nationalspieler Fussball EM
तस्वीर: AP

शायद यह फ्रांस का दुर्भाग्य ही है कि उसे फ़ुटबॉल सितारे तो बहुत मिले लेकिन वे खरे नहीं उतर पाए. वर्ल्ड कप 2006 के फ़ाइनल में इतालवी खिलाड़ी मार्ती मतराज़ी को मारा गया ज़िदान का वह हेडर भला कौन भूल सकता है, जिसने फ्रांस से वर्ल्ड कप छीन लिया और एक शानदार करियर का स्याह अंत हो गया. इसके बाद ऑनरी का हैंड बॉल भी उसी कड़ी का हिस्सा बनता है.

सबसे बड़ी बात तो यह कि ख़ुद ऑनरी भी मान रहे हैं कि हां, उन्होंने गेंद हाथ से पकड़ी. लेकिन कहते हैं कि इस बात पर फ़ैसला लेना उनका काम नहीं है, रेफ़री का है. सो अगर रेफ़री से चूक हो गई तो हो गई.

टेलीविज़न रीप्ले में साफ़ दिख रहा है कि आयरलैंड के गोल के पास खड़े ऑनरी ने बाहर जाती गेंद को अपने बाएं हाथ से अंदर धकेला और फिर अपने साथी खिलाड़ी विलियम गलास को पास दे दिया है. गोलपोस्ट के बिलकुल सामने खड़े गलास ने गेंद जाल में डाल दी.

कुछ ऐसा ही मामला 1986 वर्ल्ड कप में अर्जेंटीना और इंग्लैंड के बीच हुए मैच के दौरान हुआ. डिएगो मैराडोना के हाथ से लग कर गेंद गोल में चली गई और अर्जेंटीना को गोल दे दिया गया. क्वार्टर फ़ाइनल मैच में इस गोल से इंग्लैंड बाहर हो गया और अर्जेंटीना ने आख़िरकार वर्ल्ड कप जीत लिया. मैराडोना इस गोल को हैंड ऑफ़ गॉड यानी “भगवान के हाथ” से हुआ गोल कह कर पल्ला झाड़ गए. लेकिन सच तो यह है कि न वह भगवान का हाथ था, न यह भगवान का हाथ है. यह दोनों शैतान के हाथ हैं, जिन्होंने दुनिया के सबसे महान खेल फ़ुटबॉल को दाग़दार किया.

मैराडोना के महान फ़ुटबॉल करियर का एकमात्र बदनुमा धब्बा यही हैंड ऑफ़ गॉड रहा और शायद ऑनरी के बेमिसाल करियर के बाद भी उन्हें उनके खेल के लिए नहीं, बल्कि उनकी बेईमानी के लिए याद किए जाते रहे. मैराडोना के उस गोल को तो फिर भी पकड़ पाना मुश्किल था. पता नहीं लग पा रहा था कि गेंद ने सिर को छुआ है या हाथ को, लेकिन ऑनरी का हैंड बॉल तो शीशे की तरह साफ़ है. ऐसा लग रहा है जैसे फ़ुटबॉल ग्राउंड पर बास्केटबॉल खेल रहे हों. कैमरे ने कई कोणों से उनकी यह शरारत क़ैद कर ली है.

ऑनरी यह कह कर बच निकलना चाहते हैं कि सही ग़लत का फ़ैसला रेफ़री का होता है. लेकिन रेफ़री भी तो आख़िर इनसान है. पूरे 90 मिनट फ़ुटबॉल ग्राउंड के हर कोने में वह मौजूद नहीं रह सकता. इस मामले में क्रिकेट की मिसाल बड़ी फ़िट बैठती है. क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर जैसे क्रिकेटर हैं, जो आउट होने पर अंपायर को धर्मसंकट में नहीं डाला करते और ख़ुद पवेलियन की तरफ़ चल देते हैं. लेकिन ऐंड्रयू साइमंड्स जैसे खिलाड़ी भी हैं, जो गेंद ज़मीन से उठा कर भी उसे कैच क़रार दिला देते हैं.

क्रिकेट में कितनी ही बार बाउंड्री लाइन पर जब चौके का फ़ैसला नहीं हो पाता, तो फ़ील्डर ख़ुद बता देता है कि वह गेंद पकड़ते हुए सीमा लांघ गया, बल्लेबाज़ के नाम चार रन लिख दो. और सिर्फ़ बड़े क्रिकेटर नहीं, कोई भी ईमानदार क्रिकेटर ऐसा करता है.

पर ऑनरी ऐसा नहीं कर पाए. वह अपनी लोकप्रियता को न्यायोचित नहीं ठहरा पाए. यह सही है कि फ़ैसला रेफ़री करता है लेकिन क्या किसी ईमानदार खिलाड़ी का यह कर्तव्य नहीं कि वह रेफ़री को सही फ़ैसला लेने में मदद करे.

फ्रांस और आयरलैंड के बीच हुआ यह मैच बेहद अहम था. इससे तय होना था कि क्या अगले साल के वर्ल्ड कप फ़ुटबॉल में फ्रांस की टीम जा पाएगी या नहीं. आयरलैंड की फ़ुटबॉल टीम एक बार फिर वर्ल्ड कप खेल पाएगी या नहीं. लेकिन मैच ग़लत दिशा में चला गया और फ़्रांस को जोहानिसबर्ग का टिकट मिल गया. ज़िदान की अगुवाई में फ्रांस पिछली बार वर्ल्ड कप के फ़ाइनल तक पहुंचा था. लेकिन तीन बार वर्ल्ड कप खेल चुकी आयरलैंड की टीम का पत्ता कट गया.

आयरलैंड अब इस मैच को दोबारा कराने की मांग कर रहा है. यूं तो फ़ुटबॉल में रेफ़री का फ़ैसला आख़िरी माना जाता है लेकिन फ़ीफ़ा में ऐसे मिसालें भी हैं जब तकनीकी गड़बड़ी की वजह से अंतरराष्ट्रीय मैच दोबारा खेले गए हैं. फ़ीफ़ा दबाव में है और अब राजनीतिक दबाव भी पड़ने लगा है. आयरलैंड के प्रधानमंत्री ने कहा है कि यूरोपीय संघ की बैठक में वह ब्रसेल्स में यह मुद्दा उठाने वाले हैं. फ्रांस की ओर से कोई राजनीतिक बयान नहीं आया है.

इन सबके बीच फ्रांसीसी कप्तान थिऑरी ऑनरी सवालों के घेरे में हैं. 15 साल से अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल खेल रहे 32 साल के ऑनरी कठघरे में खड़े हैं.