फिर राष्ट्रपति पद की रेस में पुतिन!
४ दिसम्बर २००९पुतिन ने 2012 के चुनाव में हिस्सा लेने के बारे में कहा है, "मैं अभी सोचूंगा. अभी काफ़ी वक़्त है. मैं समझता हूं कि इस वक़्त हम में से हर किसी को अपनी अपनी जगह पर क़ायदे से अपना काम करना चाहिए. 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में मेरी भागीदारी का फ़ैसला आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर निर्भर करेगा. अभी तो सन 2009 चल रहा है."
पुतिन 2008 में रूस के प्रधानमंत्री बने, क्योंकि रूसी संविधान के अनुसार कोई भी लगातार तीसरी बार देश का राष्ट्रपति नहीं बन सकता. अपने चहेते प्रधानमंत्री दिमित्री मेद्वेदेव को उन्होंने देश का राष्ट्रपति बनाया. कहने वाले कहते हैं कि मेद्वेदेव तो नाम के राष्ट्रपति हैं, देश की असली ताक़त तो प्रधानमंत्री पुतिन के हाथों में हैं. काफ़ी समय से अटकलें लगाई जा रही थीं कि 2012 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में पुतिन फिर से भाग ले सकते हैं.
लेकिन इससे भी दिलचस्प बात यह है कि पुतिन की इस टिप्पणी के दो घंटों के अंदर राष्ट्रपति मेद्वेदेव ने रोम में एक प्रेस कांफ़्रेंस में कहा कि वे भी 2012 में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकते हैं. उनका कहना था, "प्रधानमंत्री पुतिन ने कहा है कि वह इसकी संभावना से इनकार नहीं करते हैं और मैं भी इसकी संभावना से इनकार नहीं करता."
इसका मतलब यह होगा कि अगले तीन सालों तक रूस के दो सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर दो ऐसे नेता होंगे, जिन्हें पता होगा कि वे चुनाव में एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी होने जा रहे हैं. अगर इसके बावजूद वे सहयोग जारी रख सकें, तो लोकतांत्रिक परिपाटी के लिए इसे बुरा नहीं कहा जा सकता. लेकिन प्रेक्षकों को ऐसा होने पर संदेह है.
गुरुवार को पुतिन ने अपने साक्षात्कार में देश की आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं और उनसे निपटने के तरीकों पर विस्तार से चर्चा की. राष्ट्रपति चुनाव बेशक 2012 में होंगे, लेकिन लगता है कि चुनाव प्रचार का बिगुल बज चुका है.
रिपोर्टः एजेंसियां/उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादनः ए कुमार