फिर रिटेल गियर डालेगी भारत सरकार
२५ जून २०१२सोमवार को अर्थव्यवस्था दुरुस्त करने का पहला संकेत देते हुए भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि रुपये की कीमत स्थिर रखने के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी. वहीं सोमवार को ही भारतीय रिजर्व बैंक ने भी कुछ बड़े एलान किए. अब कोई भी संस्था विदेशों से 40 अरब डॉलर तक का कर्ज ले सकती है. पहले यह सीमा 30 अरब डॉलर थी. सरकारी प्रतिभूतियों (बॉन्ड) में विदेशी निवेश की सीमा तो एक झटके में चार गुना बढ़ा दी गई. अब सरकारी प्रतिभूतियों में 20 अरब डॉलर तक विदेशी निवेश किया जा सकता है.
रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि इन कदमों से देश में विदेशी पूंजी आएगी. भारत से निकलती विदेशी पूंजी की वजह से भी रुपये को इतनी गिरावट देखनी पड़ी है. दरअसल भारत से जिन विदेशी निवेशकों का भरोसा टूट रहा है वे पैसा निकाल कर दूसरे देशों में लगा रहे हैं.
अर्थव्यवस्था को लेकर बढ़ते राजनीतिक दबाव, निवेशकों के गिरते भरोसे, दहाई में बरकरार महंगाई, कर्ज रेटिंग गिरने का जोखिम और धीरे धीरे घटता समय, मनमोहन सिंह और उनकी सरकार को अब इन परिस्थितियों के बीच भारत की बीमार हो चुकी अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करना है. सूत्रों का कहना है कि ये तमाम मुश्किलें मनमोहन सरकार को सुधारों के संबंध में कड़े फैसले लेने पर मजबूर कर देंगी. अगले तीन से छह महीने अहम माने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार गोविंदा राव कहते हैं, "इस वक्त अलग स्थिति है. उनके ऊपर कदम उठाने के लिए बहुत दबाव है." फैसले अगस्त अंत में मॉनसून सत्र के दौरान तय किए जा सकते हैं.
सरकार एक बार फिर 450 अरब डॉलर के रिटेल सेक्टर को खोलने का फैसला कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक विदेशी कंपनियों के लिए खुदरा बाजार खोलने के फैसले के लिए माहौल बनाया जा रहा है. पिछले साल दिसंबर में भारत सरकार ने खुदरा बाजार को विदेशी कंपनियों के लिए खोलने का एलान किया. लेकिन राजनीतिक विरोध के चलते मनमोहन सरकार को पांव पीछे खींचने पड़े.
अब वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि सरकार सबसे पहले रिटेल सेक्टर में सुधारों का फैसला कर सकती है. इससे विदेशी कंपनियों को सुपरमार्केट में 51 फीसदी हिस्सेदारी मिल सकेगी. उम्मीद है कि यह फैसला निवेशकों में भरोसा जगाएगा. इससे पूंजी आएगी और गिरते रुपये को स्थिर करने में मदद मिलेगी.
हालांकि अब भी यह कहा जा रहा है कि सरकार कोई भी फैसला राष्ट्रपति चुनाव से पहले नहीं करेगी. राष्ट्रपति चुनाव 19 जुलाई को हैं. राष्ट्रपति चुनाव की वजह से उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी से कांग्रेस की नजदीकियां बढ़ी हैं. संसद में समाजवादी पार्टी के पास 21 सीटें हैं. ऐसे में अगर यूपीए गठबंधन से अगर कोई एक पार्टी भी टूटती है तो समाजवादी पार्टी का सहारा सरकार को बचा सकता है.
समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने पिछले साल रिटेल सुधारों को कड़ा विरोध किया था. लेकिन कुछ ही दिनों पहले समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने मुलायम का इंटरव्यू किया. इंटरव्यू में मुलायम मुलायम पड़ गए, "मैं यह साफ कहता हूं कि मैं किसानों के हितों और भारतीय व्यापारियों या कारोबारियों के हितों से समझौता नहीं करूंगा." लेकिन साथ में उन्होंने यह भी जोड़ा, "हम यूपीए सरकार को नहीं गिरने देंगे क्योंकि इसका मतलब सांप्रदायिक ताकतों को बढ़ावा देना होगा, इसे हम किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं करेंगे."
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कॉरपोरेट मामलों के मंत्री वीरप्पा मोइली भी मान रहे हैं कि मुलायम के चलते बड़ी मुश्किल दूर हो गई है. मोइली ने कहा, "सरकार रिटेल और सिविल एविएशन में गंभीरता से सीधे विदेशी निवेश की ओर बढ़ रही है."
मनमोहन सिंह को भारतीय अर्थव्यवस्था का शिल्पकार कहा जाता है. 1990 के दशक में जब भारत गहरे आर्थिक संकट में फंसा था तब मनमोहन सिंह ने ही अर्थव्यवस्था संभाली. 1991 में वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने बड़े आर्थिक सुधार किए. लेकिन प्रधानमंत्री के तौर पर बीते आठ साल में वह कोई करिश्मा नहीं कर सके हैं. उनके प्रधानमंत्री रहते हुए नौ साल बाद अब भारतीय अर्थव्यवस्था अपने सबसे निचले स्तर पर है.
लेकिन सुधारों की राह में कई बड़ी अड़चनें भी हैं. केंद्र सरकार अगर सीधे विदेशी निवेश को अनुमति भी दे दे तो क्या राज्य सरकार इसमें सहयोग करेंगी. वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा बीते दिनों कई मुख्यमंत्रियों को खत लिख चुके हैं. शर्मा मानते हैं कि राज्य इसे लागू करने या न करने के लिए स्वतंत्र हैं. शर्मा को उम्मीद है कि एक राज्य की देखादेखी कल के दिन दूसरे भी करेंगे.
सब्जी और फल के मामले में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. सरकार के मुताबिक भारत 20 करोड़ टन फल और सब्जी उगाता है. सुधार की वकालत करने वालों का तर्क है कि भंडारण और बेहतर परिवहन के ढांचे की अच्छी व्यवस्था न होने की वजह से इस उत्पादन का बड़ा हिस्सा या तो खराब हो जाता है या स्थानीय बाजारों में सस्ती दर पर बिक जाता है. बड़े विदेशी रिटेलर इस स्थिति को बदल सकते हैं.
रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी (रॉयटर्स)
संपादन: मानसी गोपालकृष्णन