फुकुशिमा के आसपास प्रतिबंधित क्षेत्र बढ़ा
११ अप्रैल २०११ताजा भूकंप का केंद्र फुकुशिमा दायची परमाणु ऊर्जा संयंत्र से 88 किलोमीटर पूर्व में था. इसके कारण पहले, दूसरे और तीसरे रिएक्टरों में पानी आपूर्ति करने वाला पंप बंद हो गया. साथ ही नंबर दो रिएक्टर से रेडियोधर्मी पानी को निकालने का काम भी रोकना पड़ा, लेकिन करीब एक घंटे बाद इसे फिर से शुरू कर दिया गया.
सोमवार को टोक्यो में महसूस किए गए ताजा झटके की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.6 आंकी गई जबकि पूर्वी जापान में यह 7.1 की तीव्रता लिए था. इस भूकंप के कारण 2 लाख 20 हजार घरों की बिजली चली गई और बिजली जाने से फुकुशिमा के तीन रिएक्टरों को ठंडा करने के लिए डाला जा रहा ठंडा पानी रुक गया.
उधर जापान सरकार ने फुकुशिमा में रेडियोधर्मी प्रदूषण के कारण लोगों को 20 किलोमीटर के बाहर वाले इलाके से भी जाने की सलाह दी है. मुख्य कैबिनेट सचिव यूकिओ एदानो ने पत्रकारों से कहा कि परमाणु परिसर के 20-30 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले बच्चों, गर्भवती महिलाओं और मरीजों को यह जगह छोड़ देनी चाहिए. "खाली करवाने की नई योजना सुरक्षा कारणों से बनाई गई है ताकि साल भर या छह महीने वहां रहने वालों को किसी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़े. एकदम खाली करने की कोई जरूरत नहीं है."
11 मार्च को भूकंप के बाद आई सूनामी के कारण फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के छह रिएक्टरों से निकल रहे विकिरण पर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी ने गंभीर चिंता जताई है.
इस बीच फुकुशिमा संयंत्र को चलाने वाली टेपको कंपनी के प्रमुख मासाताक शिमित्सु सोमवार को पहली बार परमाणु संयंत्र पहुंचे. उन्होंने कहा "मैं फुकुशिमा के लोगों को शारीरिक और मानसिक मुश्किल में डालने के लिए तहे दिल से माफी चाहता हूं."
मुश्किलें कम नहीं
दायची परमाणु संयंत्र में काम कर रहे इंजीनियरों ने कहा है कि प्लांट को ठंडा करने वाली प्रणाली को ठीक करने में वे अभी तक कामयाब नहीं हुए हैं. बहुत ज्यादा रेडियोधर्मी ईंधन की छड़ों को ठंडा करने के लिए टेपको ने फिर छह यूनिटों में रेडियोधर्मी पानी डालना शुरू किया.
लेकिन अब मुश्किल यह पैदा हुई है कि इंजीनियरों को पता नहीं है कि 60 हजार टन अति रेडियोधर्मी पानी को रखे कहां. कुछ पानी समुद्र में डाला गया. चीन और दक्षिण कोरिया ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की. इंजीनियर प्लांट में हाइड्रोजन विस्फोट रोकने के लिए नाइट्रोजन भी पंप कर रहे हैं.
राजनीतिक संकट
दूसरे विश्व युद्ध के बाद के सबसे बड़ा संकट का दबाव लगातार जापानी सरकार पर बढ़ रहा है. रविवार को जापान के स्थानीय चुनावों में प्रधानमंत्री नाओतो कान की सत्ताधारी पार्टी को भारी नुकसान हुआ है. जापान में पिछले महीने आई प्राकृतिक आपदा में करीब 28 हजार लोग या तो मारे गए हैं या लापता है.
कान ने जापान के लोगों की ओर से दुनिया के 130 देशों को धन्यवाद दिया जिन्होंने उनकी मदद की.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः ए कुमार