फुटबॉल का "खामोश" विरोध बंद
३ जनवरी २०१३दिसंबर 2012 की 12 तारीख को तैयार नए नियम की वजह से इस विरोध को 12:12 नाम दिया गया. जर्मन फुटबॉल लीग बुंडेसलीगा के दर्शकों पर कई तरह की बंदिशें लगा दी गईं. इसके बाद मैच देख रहे दर्शक 12 मिनट और 12 सेकंड खामोश रहते थे और यह वक्त बीतने के बाद ही स्टेडियम में शोर शराबा शुरू होता था.
12:12 ग्रुप का कहना है कि उनका यह विरोध "सफलतम विरोधों में" गिना जाएगा. इसने एक बयान जारी कर कहा, "सर्दियों की छुट्टी के बाद हम इस तरह के विरोध को जारी नहीं रखेंगे." ग्रुप का कहना है कि इससे दर्शकों के साथ खिलाड़ियों के लिए भी माहौल खराब होता है.
विरोध की वजह
जर्मन फुटबॉल लीग और 36 क्लबों ने वोटिंग करके पिछले महीने लागू इन विरोधों को लागू कराया था. यही लीग जर्मनी की प्रतिष्ठित दो स्तर वाली बुंडेसलीगा टूर्नामेंट आयोजित कराती है. प्रीमियर लीग बुंडेसलीगा और दूसरी लीग में 18-18 टीमें होती हैं. नए नियमों के अनुसार स्टेडियम के कड़े सुरक्षा इंतजाम, किसी भी दर्शक के पूरे बदन की तलाशी और वीडियो रिकॉर्डिंग करने के अलावा धुआं पैदा करने वाले स्मोक बम पर पाबंदी जैसे फैसले किए गए.
पिछले सीजन के दौरान स्टेडियम में हुई हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए ये नियम बनाए गए. 2011-12 सीजन में 12 साल में सबसे ज्यादा हिंसक घटनाएं हुईं. इसमें जख्मी होने वालों की संख्या भी उससे पिछले सीजन से दोगुनी हो गई. हालांकि दर्शक इन पाबंदियां के खिलाफ हैं.
समझौते की तलाश
फैन चाहते हैं इन नियमों पर फिर ध्यान दिया जाए और उन्हें आसान बनाया जाए. जर्मन फुटबॉल लीग ने विरोधी '12:12' समूह से उनका प्रस्ताव मांगा है, जिसे स्टेडियम में सुरक्षा इंतजाम को ध्यान में रख कर तैयार किया जाना चाहिए. इस प्रदर्शन से फुटबॉल प्रेमी बताना चाहते हैं कि बिना शोर शराबे के फुटबॉल का कोई मजा नहीं.
12:12 आंदोलन शुरू करने वाले फैन समूह ने इंटरनेट पर लिखा, "बातचीत का न्योता अच्छा संकेत है. हमें इसी तरह शांति और एकता बनाए रहना है."
जर्मन फुटबॉल लीग के उपाध्यक्ष हेरिबर्ट ब्रुखहागेन ने कहा, "इस तरह के मतभेद कभी फुटबॉल के हित में नहीं होते. मुझे खुशी होगी अगर सारे मतभेद एक एक कर खत्म हो जाएं."
दूसरे यूरोपीय देशों से हट कर जर्मनी के बुंडेसलीगा मैचों के दौरान दर्शकों के लिए खड़े होकर मैच देखने की भी जगह होती है. फैन यह मजा लूटते रहना चाहते हैं. हालांकि 12:12 ने यह भी कहा कि अगर बातचीत के बाद दर्शकों की तलाशी या बाहर से मैच देखने आने वाले लोगों पर पाबंदी जैसे नियम बने रहते हैं तो यह विरोध आगे भी जारी रहेगा.
रिपोर्टः समरा फातिमा (डीपीए)
संपादनः ए जमाल