फुटबॉल के ग्लैमर की विदाई
१७ मई २०१३फुटबॉल दुनिया में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला खेल बेशक है लेकिन इसमें ग्लैमर जोड़ने का काम डेविड बेकहम ने जिस तरह से किया है, वैसा इससे पहले किसी खिलाड़ी ने शायद ही किया हो. भारत से लेकर अमेरिका तक के लोग फुटबॉल के बड़े खिलाड़ियों को भले न जानते हों, लेकिन लाल जर्सी वाले बेकहम को जरूरत जानते हैं.
मुस्कुराता चेहरा, जेल लगे हुए खड़े बाल, लाल जर्सी और हाथ पर गलत हिज्जे में हिन्दी में पत्नी विक्टोरिया के नाम का गुदना. भला भारत इसकी दीवानी क्यों न हो, जब पत्नी स्पाइस गर्ल की मशहूर गायिका हो. करियर की ढलान पर बेकहम ने अमेरिका का रुख कर लिया और फिर फ्रांस लौट आए.
अमेरिका यूं तो अपने फुटबॉल, बेसबॉल और बास्केटबॉल में उलझा रहता है, लेकिन बेकहम ने वहां फुटबॉल की अलग पहचान बनाई और शायद पेले और मैराडोना के बाद वे वहां के सबसे लोकप्रिय फुटबॉलर बने. दुनिया लॉस एजेंलेस गैलेक्सी नाम की टीम तो तभी जानने लगी, जब बेकहम नाम का ग्लैमर उससे जुड़ गया.
दुनिया जब बीसवीं से इक्कीसवीं सदी में जा रही थी, तो फुटबॉल की दुनिया भी बदल रही थी. मैदान पर पसीने बहा कर एक अदद गोल से टीम को जिताने वाली टीमों की जगह लाल जर्सी वाला एक मुस्कुराता चेहरा ले रहा था, जो फुटबॉल तो बहुत अच्छा नहीं खेलता था, लेकिन इसकी मार्केटिंग करना जानता था.
दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल अचानक सबसे महंगा बन गया. यह संयोग ही था कि बेकहम ब्रिटेन के मैनचेस्टर यूनाइटेड टीम से जुड़ गए, जो सर एलेक्स फर्गुसन की अगुवाई में करिश्मे कर रहा था और जिसकी जर्सी इंग्लैंड की तरह ही लाल रंग की थी. बेकहम ने फुटबॉल को बाजार से जोड़ दिया. आम जर्सियां हजारों रुपये में बिकने लगीं. खिलाड़ी मैदान से बाहर निकल कर बाजार में खेलने लगे. यूरोपीय लीग की टीमें करोड़ों का दांव लगाने लगीं.
वैसे बेकहम के फुटबॉल के बारे में ज्यादा लिखना मुश्किल है. वह मिडफील्डर थे, मैराडोना और पेले जैसे दुनिया के दूसरे बड़े फुटबॉलरों की तरह. 10 नंबर की जगह 23 और 32 नंबर की जर्सी पहनने वाले बेकहम खामोश गेंद के साथ शानदार खेल कर सकते थे. वह लंबी दूरी से बेमिसाल फ्री किक ले सकते थे और कॉर्नर से भी बेहतरीन शॉट ले सकते थे. हां, कभी कभी टीम के दूसरे खिलाड़ियों को अच्छे पास भी दे सकते थे.
इंग्लैंड के लिए 100 से ज्यादा मैच खेलने वाले बेकहम की पहचान फुटबॉल से ज्यादा उनके ग्लैमर के लिए होगी.
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ
संपादनः आभा मोंढे