फेफड़े धोने की फिराक में बीजिंगवासी
२३ दिसम्बर २०१६लगातार पांच दिन से घर में एयर प्यूरिफायर चल रहा है. बाहर निकलने से पहले चेहरे पर मास्क लग जाता है. मास्क तभी उतरता है जब सामने एयर प्यूरिफायर चल रहा हो. चीन की राजधानी बीजिंग में लाखों लोग इन दिनों ऐसी ही जिंदगी जी रहे हैं. कोहरे, धुएं और प्रदूषण के मिश्रण स्मॉग से बचने के लिए कई लोग छु्ट्टी होते ही शहर से बाहर चले जा रहे हैं.
चीन में मशहूर ट्रैवल वेबसाइट Qunar.com में लोग "स्मॉग से बचें" और "अपने फेफेड़े धोएं" लिखकर सर्च मार रहे हैं. यह बात खुद कंपनी की प्रवक्ता मिशेला की ने बताई. उत्तरी चीन फिलहाल सबसे बुरे प्रदूषण से गुजर रहा है. स्मॉग इतना गहरा है कि हवा, जमीन और पानी की परिवहन सेवाएं बाधित हो रही हैं. फैक्ट्रियों और स्कूलों को बंद करना पड़ा है.
प्रदूषण से परेशान बीजिंगवासी दक्षिणी चीन के हवाई टिकट खोज रहे हैं. बड़ी संख्या में लोग जापान और थाइलैंड जाने की योजना भी बना रहे हैं. मिशेला की के मुताबिक, "हवा की अच्छी क्वालिटी भी वहां जाने का एक कारण होगी."
उत्तरी चीन के औद्योगिक इलाकों में पॉल्यूशन अलर्ट अब आम बात हो चुकी है. जाड़ों में तो हाहाकार मचना पक्का है. बिजली की मांग बढ़ते ही कोयले की खपत बढ़ जाती है और प्रदूषण से परेशान शहर और ज्यादा हाफंने लगता है.
27 साल की जेन वांग भी परिवार के साथ छुट्टी पर जाना चाहती हैं, लेकिन दफ्तर से ऑफ नहीं मिल रहा. वांग कहती हैं, "हमारे पास पूरा दिन मास्क पहनने और खांसते हुए काम करने के अलावा और कोई चारा नहीं है." प्रदूषण के चलते वांग की मां बीजिंग से हाइनान जा चुकी हैं.
जो लोग बाहर नहीं जा पा रहे हैं, उनके सामने एक विकल्प अपने ही शहर में होटल लेने का भी है. कई होटलों ने अपने कमरों में एयर प्यूरिफायर लगाया है. सिर्फ बीजिंग ही नहीं बल्कि उत्तरी चीन के कई शहरों में होटलों में एयर प्यूरिफायर लग चुके हैं.
होटल बुकिंग के एक ऑनलाइन विज्ञापन में लिखा है, "छोटे जंगल का मजा लीजिए, ताजा हवा वाले कमरे में रहिये: खास एयर फिल्ट्रेशन मशीन का आनंद लीजिए."
बीजिंग इस समस्या से जूझने वाला अकेला शहर नहीं हैं. अक्टूबर-नवंबर में दिल्ली समेत उत्तर भारत के कुछ शहरों की भी हालत काफी बुरी हुई. स्मॉग के चलते स्कूल बंद करने पड़े. सैकड़ों लोगों को डॉक्टरों के पास जाना पड़ा. स्वच्छ ऊर्जा के साथ टिकाऊ विकास अगर न किया जाए तो कैसी हालत होती है, चीन का सटीक उदाहरण है. भारत में फिलहाल यह समस्या विकराल नहीं है, लेकिन अगर स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने वाले कदम नहीं उठाए गए तो बहुत जल्द भारत के कई शहरों की हालत भी बीजिंग जैसी या उससे भी बदतर होने लगेगी.
ओएसजे/एमजे (रायटर्स)