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फेसबुक पर इस्लाम के अपमान के लिए कैद

२३ अक्टूबर २०११

मिस्र की एक अदालत ने एक शख्स को फेसबुक पर जारी एक संदेश में इस्लाम का अपमान करने के लिए 3 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. मिस्र की सरकारी समाचार एजेंसी मीना ने खबर दी है.

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तस्वीर: AP/dapd/DW-Montage

काहिरा की अदालत में सुनवाई के दौरान यह साबित किया गया कि अयमान यूसुफ मंसूर ने जान बूझ कर इस्लाम का अपमान किया है. मीना के मुताबिक अदालत ने यह माना है, "जान बूझ कर इस्लाम धर्म की मर्यादा पर हमला किया और फेसबुक पर उसकी हंसी उड़ाई." अदालत ने अपने फैसले में कहा है, "पवित्र कुरान को अपमानित किया गया है. सच्चे इस्लामी धर्म, इस्लाम के पैगंबर उनके परिवार और मुसलमानों को अपमानित करने के लिए अभद्र तरीके का इस्तेमाल किया गया है."

मंसूर को इसी साल पुलिस ने इंटरनेट से मिले उसके पते के जरिए ढूंढ निकाला और फिर उसे गिरफ्तार कर लिया गया. मिस्र के कानून में धर्म का अपमान करने की पूरी तरह से पाबंदी है. पहले इस कानून का इस्तेमाल शिया मुस्लिमों पर मुकदमा चलाने के लिए किया जाता था. समाचार एजेंसी मीना ने मंसूर के धर्म या विश्वास के बारे में जानकारी नहीं दी है लेकिन कोर्ट का बयान छापा है जिसमें कहा गया है, "सभी धर्मों के लोग इस बात के लिए बाध्य हैं कि वे दूसरे धर्म के अस्तित्व को स्वीकार करें."

Symbolbild Syrien Internet Social Media
तस्वीर: picture-alliance/Demotix/Aiham Dib

पहले भई ब्लॉगरों को सजा

2007 में मिस्र की एक अदालत ने मुस्लिम पैगंबर और तब के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक का अपमान करने पर ब्लॉगर करीम आमेर को जेल की सजा सुनाई थी. आमेर को पिछले साल जेल से रिहा किया गया.

मिस्र अरब जगत का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है. यहां फ्रांस की तरह का कानूनी तंत्र है. लेकिन फिलहाल होस्नी मुबारक के पद से हटने के बाद संविधान को निलंबित कर दिया गया है. लंबे विरोध प्रदर्शनों के बाद मुबारक को अपना पद छोड़ने पर विवश होना पड़ा. इसके बाद से मुल्क पर सेना का शासन है और फिलहाल इस्लाम को कानून का प्रमुख स्रोत मान लिया गया है. मिस्र में मध्य पूर्व देशों के ईसाई समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में रहते हैं. मोटे तौर पर 8 करोड़ की आबादी वाले इस देश में करीब 10 फीसदी लोग ईसाई समुदाय के हैं.

सजा सुनाने वाली अदालत ने कहा है कि आस्था की आजादी के नाम पर ऐसी अवमानना की आजादी नहीं दी जा सकती जो दूसरे लोगों की आस्था को नुकसान पहुंचाती हो. कोर्ट के मुताबिक आस्था की आजादी को, "सरकार और देश की सुरक्षा को गंभीर खतरे की स्थिति में लागू नहीं किया जा सकता."

मिस्र में क्रांति के बाद से लोगों को महसूस हो रहा है कि यह देश कट्टरपंथी इस्लामी धारणाओं की तरफ बढ़ रहा है. हाल में सैन्य पुलिस और कॉप्टिक ईसाइयों के बीच हुए सांप्रदायिक संघर्ष ने भी नई आशंकाओं को जन्म दिया है.

रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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